कृषि मंत्रालय और सीआईबी और आरसी कृषि क्षेत्र में तेजी से आवेदनों का निपटान करने तथा फसल स्वास्थ्य निगरानी एवं मिट्टी के पोषक तत्वों का छिड़काव सहित अन्य जरूरी कार्यो के लिए ड्रोन को अपनाने पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली : डायरेक्टोरेट ऑफ प्लांट प्रोटक्शन क्वारेंटाइन एंड स्टोरेज (DPPQS) के सीनियर ऑफिसर रवि प्रकाश ने कहा कि सरकार के तीन विभाग कृषि क्षेत्र में ड्रोन को यूज में लाने के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डीपीपीक्यूएस के तहत केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) को आठ फसल संरक्षण कंपनियों से ड्रोन के परीक्षण की अनुमति के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं.
किसानों के लिए सस्ते हैं ड्रोन
क्रॉपलाइफ इंडिया और गैर-लाभकारी संस्था थिंकएजी द्वारा आयोजित एक उद्योग गोलमेज सम्मेलन में वर्चुअल तरीके से इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए प्रकाश ने कहा कि ड्रोन किसानों के लिए सस्ते है और बेहतर उत्पादन में मदद करते हैं. एक बयान के अनुसार, प्रकाश ने गोलमेज चर्चा में कहा, ‘नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA), कृषि मंत्रालय और सीआईबी और आरसी कृषि क्षेत्र में तेजी से आवेदनों का निपटान करने तथा फसल स्वास्थ्य निगरानी एवं मिट्टी के पोषक तत्वों का छिड़काव सहित अन्य जरूरी कार्यो के लिए ड्रोन को अपनाने पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं.’
ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध स्वागतयोग्य कदम
उद्योग मंडल क्रॉपलाइफ इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) असितव सेन ने कहा कि ड्रोन पर नीतिगत ढांचा तैयार है और कृषि क्षेत्र में ड्रोन को बढ़ावा देने का यह सही समय है. ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्मित शाह के अनुसार, ‘तैयार ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध एक स्वागतयोग्य कदम है क्योंकि इससे घरेलू ड्रोन निर्माण उद्योग को बढ़ने में मदद मिलेगी. स्थानीय विनिर्माण पर कोई रोक लगाये बगैर, इंजन और बैटरी सहित ड्रोन के आवश्यक घटकों का अभी भी आयात किया जा सकता है.’
(इनपुट : भाषा)