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जम्मू और कश्मीर

LoC पर घुसपैठ की घटनाएं बढ़ीं या घटीं, J&K में कितने पद भरे गए, मोदी सरकार ने संसद में बताया

केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि लाइन ऑफ कंट्रोल यानी (एलओसी) पर 2018 के बाद से घुसपैठ की घटनाओं में गिरावट आई है. केंद्र ने बताया कि साल 2018 से लेकर 2021 के बीच 366 घुसपैठ की घटनाएं सामने आई हैं. 

केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि लाइन ऑफ कंट्रोल यानी (एलओसी) पर 2018 के बाद से घुसपैठ की घटनाओं में गिरावट आई है. केंद्र ने बताया कि साल 2018 से लेकर 2021 के बीच 366 घुसपैठ की घटनाएं सामने आई हैं. 

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा सांसद रंजनबेन धनंजय भट्ट के सवाल पर लिखित में यह जवाब दिया.  उन्होंने कहा, ‘साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की घटनाएं एलओसी पर कम हुई हैं. पिछले चार साल में अनुमानित 366 घुसपैठ हुई हैं.’ 2018 में इस तरह की 143 घटनाएं, 2019 में 138 घटनाएं और 2020 में 51 घटनाएं घटीं, वहीं 2021 में 34 ऐसे मामले सामने आए हैं.

नित्यानंद राय ने आगे बताया, ‘इनपुट्स के मुताबिक अच्छी खासी संख्या में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लॉन्च पैड्स पर आतंकवादी मौजूद रहते हैं. सरकार ने सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा/लाइन ऑफ कंट्रोल पर विभिन्न स्तरों पर तैनाती, बॉर्डर फेंसिंग, इंटेलिजेंस में सुधार, ऑपरेशन कॉर्डिनेशन, जवानों को आधुनिक हथियार और घुसपैठियों पर एक्शन लेना शामिल है. 

क्या एलओसी पर पाकिस्तान ने बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है और क्या आतंकवादियों ने सीमापार से लांच पैडों से घुसपैठ की कोशिश की है, इस बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘मांगी गयी जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक संवेदनशील अभियान संबंधी मामले से संबंधित है और राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में इसे बताया नहीं जा सकता.’ बता दें कि पाकिस्तान और भारत पिछले करीब एक साल से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम का पालन कर रहे हैं. इससे पहले केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35-ए को हटाए जाने के बाद से अब तक 11,324 गजेटेड, नॉन गजेटेड और क्लास IV पोस्ट्स को भरा गया है. बीजेपी नेता गोपाल शेट्टी के सवाल पर नित्यानंद राय ने लिखित में यह जवाब दिया. उन्होंने शेट्टी के सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने अगस्त 2019 के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में खाली पदों को भरने के लिए कई कदम उठाए हैं. 

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