Giloy Dos Donts कोरोना वायरस महामारी ने हमारी ज़िंदगी कई मायनों में बदल कर रख दी। लोग अब इम्यूनिटी को मज़बूत करने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। गिलॉय का सेवन भी पिछले दो सालों में इसी वजह से बढ़ा है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Giloy Do’s & Don’ts: गिलॉय एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य से जुड़ी कई स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग सदियों से होता आ रहा है, लेकिन पिछले दो सालों में कोविड महामारी के दौरान सेवन काफी बढ़ गया है। इसके प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों की वजह से, लोगों ने कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए गिलॉय को अपने आहार में शामिल करना शुरू कर दिया।
कुछ समय पहले ऐसी ख़बरें सामने आई थीं जिसमें गिलॉय के सेवन और उससे होने वाले लीवर को नुकसान की बात कही जा रही थी। जिसके बाद आयुष मंत्रालय ने गिलॉय के दुष्प्रभावों पर संदेह को दूर करते हुए, कहा कि जड़ी बूटी सीमित मात्रा में लेने के लिए बिल्कुल सुरक्षित है और इसे लीवर की क्षति से जोड़ना ग़लत है। लेकिन किसी भी चीज़ के सेवन से पहले उसके बारे में जानकारी हासिल करना अच्छा रहता है। तो आइए जानें कि गिलॉय को किस तरह से लेना सुरक्षित माना जाता है।
गिलॉय के सेवन के फायदे
गिलॉय एक भारतीय औषधी है, जो सेहत से जुड़े कई तरह के जादुई फायदों के लिए जाना जाता है। गिलोय एकमात्र ऐसी जड़ी बूटी है, जो शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंच सकती है और मस्तिष्क, श्वसन प्रणाली, हृदय, त्वचा और अन्य जैसे विभिन्न अंगों से संबंधित विकार का इलाज करने में मदद कर सकती है। यह जड़ीबूटी एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर होती है, जो फ्री-रैडिकल्स से लड़ती है, टॉक्सिन्स को निकालती है और रक्त को साफ करती है। इसके लिए अलावा गिलॉय के सेवन से पाचन बेहतर होता है, श्वसन से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं और तनाव और चिंता से कुछ राहत मिलती है।
क्या गिलॉय लीवर के लिए हानिकारक होता है?
इसमें कोई शक़ नहीं कि गिलॉय एक पॉवरफुल जड़ीबूटी है, लेकिन किसी भी अन्य जड़ीबूटी या दवा की तरह इसका ज़रूरत से ज़्यादा सेवन आपके लीवर सहित अन्य अंगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सभी जड़ी बूटियों को यकृत में या यकृत के माध्यम से संसाधित किया जाता है, इसलिए वे यकृत के कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए हमेशा एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें। हालांकि, आयुर्वेद के हिसाब से गिलॉय लीवर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है।
गिलॉय का सेवन सुरक्षित तरीके से कैसे करें?
आयुर्वेद में गिलॉय को सुरक्षित ज़रूर माना गया है लेकिन इसे सीधे पीने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर आप प्राकृतिक गिलॉय पी रहे हैं, तो इसे रोज़ाना 6 हफ्तों से ज़्यादा समय के लिए न पिएं।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, गिलॉय के पाउडर का काढ़ा बनाकर पीना सबसे बेस्ट तरीका है। एक बड़ा चम्मच गिलॉय पाउडर लें और उसे दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक यह एक कप में न बदल जाए। आप इसे खाने के साथ आराम से पी सकते हैं।
दूसरा तरीका है गिलॉय पाउडर को शहद के साथ दिन में दो बार पिएं। संशमनी वटी के ज़रिए भी आप गिलॉय को डाइट में शामिल कर सकते हैं। लंच और डिनर करने के बाद दो टैबलेट्स खा लें। आयुष मंत्रालय 500 मिलीग्राम गिलोय को अर्क के रूप में या 1-3 ग्राम पाउडर को दिन में दो बार 15 दिन या एक महीने तक गर्म पानी के साथ सेवन करने की सलाह देता है। अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो बेहतर है कि खाने से पहले अपने डॉक्टर से मशवरा ज़रूर लें।