एपीजे अब्दुल कमाल टेक्नोलॉजी सेक्टर में करीब से नजर रखते थे। यही वजह थी कि कलाम के हस्तक्षेप के बाद गूगल मैप को अपनी रणनीति योजना से पीछे हटना पड़ा था। साथ ही इस मामले में केंद्र सरकार को नियम बनाना पड़ा था।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। मिसाइल मैन के नाम से मशहूर देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजी की दुनिया में बड़ा नाम रहे हैं। वो टेक्नोलॉजी से जुड़ी चीजों पर बारीकी से नजर रखते थे। ऐसा ही एक वाक्या उस वक्त सामने आया, जब दिग्गज टेक कंपनी गूगल एपीजे अब्दुल कलाम के आगे झुकने पड़ा। उस वक्त कलाम ने गूगल को अपनी बात मानने को मजबूर होना पड़ा था।
गूगल झुकने को हुआ मजबूर
दरअसल मामला कुछ यूं है कि गूगल अर्थ (Google Earth) सर्विस भारत की संवेदनशील जानकारी को स्ट्रीट व्यू के जरिए उपलब्ध करा रहा था। जिससे विदेश में बैठा कोई भी व्यक्ति सैटेलाइट इमेज की मदद से भारत की रणनीतिक लोकेशन पर एक मीटर से कम दूरी की क्लिक पिक्चर क्लिक कर सकता था। अब्दुल कलाम ने इसे लेकर गूगल से सामने आपत्ति दर्ज कराई।
सरकार को लाना पड़ा नियम
गूगल शुरुआत में इस बात को मानने को तैयार ना था। लेकिन जब अब्दुल कलाम अपनी बात पर अड़ गए, तो मिनिस्ट्री ऑफ साइंस और टेक्नोलॉजी अधिकारियों की गूगल अर्थ प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग हुई। इसके बाद सरकार ने एक नियम पास किया कि गूगल अर्थ और अन्य सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां 25-50 मीटर रेजॉल्यूशन से ज्यादा इमेज नहीं जारी कर सकती है। यही वजह है कि आज भी बाकी देशों के मुकाबले भारत में गूगल अर्थ से स्ट्रीट व्यू काफी धुंधला होता है।
क्या था एपीजे अब्दुल कलाम का तर्क
एपीजे अब्दुल कलाम गूगल अर्थ इमेज की मदद से आतंकवादी भारत के संवेदनशील मिलिट्री और साइंटिफिक लोकेशन पर राकेट लॉन्च करके हमला कर सकते हैं। साथ ही बाकी देश गूगल अर्थ इमेज की मदद से भारत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।