बीते दिनों गौशाला संचालकों की बैठक हुई थी जिसमें तूड़ी की बढ़ती कीमतों पर चिंता जाहिर की गई थी और साथ ही प्रशासन को भी अल्टीमेटम दिया गया था कि सरकार व प्रशासन ने अगर तूड़ी के रेटों में कटौती नहीं की, तो मजबूरन गौशालाओं के प्रबंधकों के पद से इस्तीफा देकर गौशालाएं बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
चंडीगढ़. हरियाणा में पशुओं के लिए सूखे चारे के कमी की समस्या अब गहराती जा रही है. कई जिलों में सूखा चारा यानि तूड़ी की किल्लत को देखते हुए प्रशासन ने पत्र जारी कर गौशाला संचालकों को राहत प्रदान की है. कई जिलों में धारा 144 के तहत रोक के आदेश जारी किए गए हैं. गेहूं की कम पैदावार और चारे की बढ़ती कीमतों को देखते हुए अब पशु चारा राज्य से बाहर नहीं बेचा जा सकेगा. आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ दंड प्रक्रिया की संहिता 1973 की धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
जारी किए गए आदेशों में कहा गया है कि गेंहू, सरसों व अन्य फसली अवशेषों को जलाने से होने वाले प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य व संपत्ति को होने वाले नुकसान के मद्देनजर अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाया है. इसके अतिरिक्त पशु चारे की कमी ना हो, इसके लिए दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत फसली अवशेषों को जलाने के साथ-साथ इन्हें जिले से बाहर भेजे जाने पर भी रोक रहेगी. आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188, संपठित वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1881 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि बीते दिनों गौशाला संचालकों की बैठक हुई थी जिसमें तूड़ी की बढ़ती कीमतों पर चिंता जाहिर की गई थी और साथ ही प्रशासन को भी अल्टीमेटम दिया गया था कि सरकार व प्रशासन ने अगर तूड़ी के रेटों में कटौती नहीं की, तो मजबूरन गौशालाओं के प्रबंधकों के पद से इस्तीफा देकर गौशालाएं बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
गौशाला संचालकों का कहना है कि महंगे भाव पर तूड़ी खरीदकर गायों व गौवंश को डाल रहे हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में तूड़ी नहीं मिलने के कारण पशुओं को चारा नहीं मिल पा रहा है. गौशाला संचालकों ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो हमें मजबूरन गौशालाओं के गेट खोलने पड़ेंगे और सारा गौवंश सड़कों पर छोड़ना पड़ेगा. गौशालाओं की चाबी डीसी को सौंप दी जाएगी.