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बिजली संयंत्रों को कोयला सप्लाई रेलवे की प्राथमिकता, माल गाड़ियों की कमी से ‘नमक संकट’ का खतरा

एक मालगाड़ी की एक रेक में लगभग 2,700 टन खाद्य नमक ले जाया जाता है, औद्योगिक नमक के लिए एक रेक की वहन क्षमता लगभग 3,800-4,000 टन होती है. कच्छ में सालाना लगभग 2.86 करोड़ टन नमक का उत्पादन होता है और इसमें से 2 करोड़ टन की खपत घरेलू बाजार में औद्योगिक और खाद्य दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है. उद्योग में 1.2 करोड़ टन नमक का इस्तेमाल होता है.

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे द्वारा कोयला रेक को दी गई प्राथमिकता के कारण कच्छ से देश भर के विभिन्न राज्यों में नमक की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी को देखते हुए रेलवे ने कोयला रैक को प्राथमिकता दी है. नमक व्यापारियों के अनुसार, अब उन्हें औद्योगिक और खाद्य नमक दोनों के परिवहन के लिए हर दिन सिर्फ 5 रेक मिलते हैं और कोयले का आयात बढ़ने पर यह संख्या और घट जाएगी. पहले नमक की ढुलाई के लिए 8 रेक मिल रहे थे.

द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक रेल मंत्रालय ने कच्छ के अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर उत्तर भारत के छह बिजली उत्पादन संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने को कहा है. कच्छ देश की द्योगिक और खाद्य उपयोग के लिए नमक आवश्यकता का 75 प्रतिशत पूरा करता है. एक मालगाड़ी की एक रेक में लगभग 2,700 टन खाद्य नमक ले जाया जाता है, औद्योगिक नमक के लिए एक रेक की वहन क्षमता लगभग 3,800-4,000 टन होती है. कच्छ में सालाना लगभग 2.86 करोड़ टन नमक का उत्पादन होता है और इसमें से 2 करोड़ टन की खपत घरेलू बाजार में औद्योगिक और खाद्य दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है. उद्योग में 1.2 करोड़ टन नमक का इस्तेमाल होता है.

इंडियन साल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के उपाध्यक्ष शामजी कंगड़ ने द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘हमें रोजाना 7-8 रेक मिलते थे, लेकिन पिछले एक पखवाड़े में हमें नमक परिवहन के लिए रोजाना 4-5 रेक मिलते हैं. औद्योगिक उपयोग और खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले नमक का करीब 70 फीसदी हिस्सा ट्रेन से ले जाया जाता है. उन्होंने कहा कि मानसून में नमक का परिवहन करना मुश्किल होता है और इसलिए मई में सभी व्यापारी नमक का स्टॉक करते हैं.’

नमक उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह स्थिति लंबे समय में देश में नमक की कमी पैदा कर सकता है और एक बार कमी हो जाने के बाद उसे दूर करने में एक महीने का समय लगेगा. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक मंत्रालय ने उन्हें गुजरात, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में 6 बिजली संयंत्रों को प्राथमिकता के आधार पर कोयले की आपूर्ति करने की सूची दी है. कोयले का परिवहन दीनदयाल बंदरगाह, मुंद्रा और नवलखी बंदरगाह पर आयात के बाद किया जाता है. फिलहाल कच्छ से रोजाना तीन रेक जा रहे हैं लेकिन यह बहुत जल्द बढ़कर 10 हो जाएगा.

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