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हेल्थ

कैसे फैलता है मंकीपाक्स वायरस का संक्रमण, कितना है खतरनाक और क्‍या है इलाज? जानें लक्षण और बचाव

भारत में इस वायरस से संक्रमण का पहला केस सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने एक हाई लेवल टीम केरल भेज दी है. गुरुवार को केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने एक एडवायजरी जारी कर सभी राज्यों को मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण की निगरानी, इसकी पहचान और आइसोलेशन पर जोर देने के लिए कहा है.

नई दिल्ली: मंकीपॉक्स वायरस की भारत में भी एंट्री हो गई है. केरल के कोल्‍लम जिले से मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है. मरीज हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से लौटकर आया था. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर संदिग्‍ध को तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. टेस्‍ट में उसके मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई. फिलहाल उसका इलाज चल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 73 देशों के 10,800 से ज्‍यादा लोगों में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है.

भारत में इस वायरस से संक्रमण का पहला केस सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने एक हाई लेवल टीम केरल भेज दी है. गुरुवार को केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने एक एडवायजरी जारी कर सभी राज्यों को मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण की निगरानी, इसकी पहचान और आइसोलेशन पर जोर देने के लिए कहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में कहा है कि सभी संदिग्धों की स्क्रीनिंग और टेस्टिंग जरूर होनी चाहिए. मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए यह जानना जरूरी है कि यह कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या हैं, क्या इस संक्रमण का कोई इलाज या वैक्‍सीन है, यह कितना खतरनाक है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब…

क्या है मंकीपॉक्स वायरस?

1. मंकीपॉक्स एक जूनोसिस वायरस (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला) है. यह वायरस बंदर के अलावा चूहा, गिलहरी और डॉर्मिस जैसे जानवरों में भी मिलता है. मंकीपॉक्स वायरस, स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है.

2.मंकीपॉक्स 1958 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद 1970 में यह 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया था. पहली बार 2003 में अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे.

3.मंकीपॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक 2017 में नाइजीरिया में हुआ था, जिसके 75% मरीज पुरुष थे. ब्रिटेन में इस वायरस से संक्रमण के मामले पहली बार 2018 में सामने आए थे.

4.चेचक के बाद मंकीपॉक्स पब्लिक हेल्थ के लिए ऑर्थोपॉक्स वायरस के रूप में उभरा है. मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले ट्रॉपिकल रेन फॉरेस्ट के नजदीक वाले इलाकों, जैसे मध्य और पश्चिम अफ्रीका में पाए जाते हैं.

5.इस वायरस के संक्रमण का इलाज उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6% रहा है.

6.फिलहाल मंकीपॉक्स ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के कुछ इलाकों में पाया जाता है. इस साल 6 मई को ब्रिटेन में मिला पहला मरीज नाइजीरिया से ही लौटा था.

मंकीपॉक्‍स वायरस संक्रमण कितना खतरनाक?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरस है, जिसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है. इस वायरस के दो स्‍ट्रेन्‍स हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन. दोनों ही स्ट्रेन 5 साल से छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं. कांगो स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 10% और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 1% है.

मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के लक्षण क्‍या हैं?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं. शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं. इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं. संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं.यदि फीवर केबाद शरीर पर रैशेज दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

मंकीपॉक्स का वायरस इंसानों में कैसे फैलता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर के संपर्क में आने से यह इंसानों में फैलता है. यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. यह संक्रमण बंदर, कुत्ते और गिलहरी जैसे जानवरों या मरीज के संपर्क में आए बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है. एक संक्रमित व्यक्ति सिर्फ एक ही व्यक्ति को संक्रमण फैला सकता है.ऐ से में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और मरीज को आइसोलेट करना आसान है. विशेषज्ञों की मानें तो हाई रिस्क मंकीपॉक्स मरीजों को 21 दिन के लिए आइसोलेट करने की सलाह दी जाती है.

मंकीपॉक्‍स संक्रमण से कितना डरने की है बात?
विशेषज्ञों के मुताबिक इस वायरस का व्यवहार कोविड-19 से काफी अलग है. ऐसे में इसके महामारी में तब्दील होने की संभावना बहुत कम है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके फैलने का तरीका भी कोविड से अलग है. मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दवा और टीका दोनों ही उपलब्ध है. डॉक्टरों की मानें तो इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने के लिए 85 फीसदी कारगर है. वर्ष 2019 में मंकीपॉक्स से वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए एटेन्यूएटेड वैक्सीनिया वायरस (अंकारा स्ट्रेन) पर आधारित एक नई वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी.

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