टाटा स्टील (Tata steel) ने चालू वित्त वर्ष में बड़े निवेश का योजना तैयार की है. इसके कंपनी तहत भारत और यूरोप के परिचालन में 12,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 2022-23 में भारत में 8,500 करोड़ रुपये, जबकि यूरोप में 3,500 करोड़ रुपये निवेश करने का प्लान बनाया गया है.
भारत में इस क्षेत्र पर होगा निवेश
पीटीआई के मुताबिक, टाटा स्टील के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) टी वी नरेंद्रन (T V Narendran) ने कहा कि इस साल हम 12,000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रहे हैं. भारत में हम कलिंगनगर परियोजना के विस्तार और खनन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. कंपनी ओडिशा स्थित अपने कलिंगनगर संयंत्र की क्षमता 30 लाख टन से 80 लाख टन सालाना बढ़ाने जा रही है.
इस खबर का असर सोमवार को Tata Steel के शेयर में देखा जा रहा है. Tata Steel के शेयर 2 फीसदी मजबूत होकर 902 रुपये पर कारोबार कर रहा है.
इसी महीने किया NIML का अधिग्रहण
नरेंद्रन ने बताया कि भारत में टाटा स्टील ओडिशा स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NIML) के अधिग्रहण पर लगभग 12,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. बीते 4 जुलाई को ही सभी संयुक्त उद्यम भागीदारों के 93.71 फीसदी शेयरों के हस्तांतरण के बाद NINL टाटा की हुई है. टाटा स्टील ने अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लि. (TSLP) के जरिये एनआईएनएल का अधिग्रहण किया है.
क्षमता बढ़ाने पर कंपनी का जोर
NIML का टाटा के पास आना मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा किया गया दूसरा बड़ा विनिवेश है. इससे पहले एअर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एयरलाइन कंपनी को टाटा समूह के हाथों में सौंपा गया था. अब ये दूसरी बड़ी कंपनी भी टाटा की ही झोली में आ पहुंची है. लगातार घाटे में रहने के चलते NINL संयंत्र मार्च 2020 से बंद पड़ा था. टाटा स्टील के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने अपने एक बयान में कहा था कि वह अगले एक साल में नीलाचल इस्पात की क्षमता को बढ़ाकर 11 लाख टन सालाना करने पर विचार कर रहे हैं.
Europe में निवेश का ये बड़ा प्लान
टी वी नरेंद्रन के अनुसार, टाटा स्टील ने भारत के अलावा यूरोप में 3,500 करोड़ रुपये के निवेश का जो प्लान बनाया है. इस राशि का खर्च उत्पाद मिश्रण संवर्द्धन और पर्यावरण संबंधी आवश्यकताओं पर किया जाएगा. उन्होंने कहा टाटा स्टील भारत में करीब 20 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन करती है और यह देश की शीर्ष तीन इस्पात उत्पादक कंपनियों में शामिल है.