नई दिल्ली :
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)ने मंगलवार को स्पष्ट किया है कि अनाज और दाल सहित पहले से पैक किए गए खाद्यान्न पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने का फैसला राज्यों की सहमति से लिाया गया है. इस संबंध में सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए वित्त मंत्री ने सप्ष्ट किया कि यह पहली बार नहीं है जब खाद्यान्न पर कर लगाया गया है क्योंकि जीएसटी पूर्व शासन के दौरान (pre-GST regime)राज्य मूल्य वर्धित कर (Value Added Tax या VAT) एकत्र करते थे. निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, “क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्यान्नों पर कर लगाया जा रहा है? नहीं…जीएसटी पूर्व व्यवस्था में राज्य, खाद्यान्न से महत्वपूर्ण रेवेन्यू एकत्र कर रहे थे. अकेले पंजाब ने खाद्यान्न पर परचेज टेक्स के रूप में 2000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की जबकि यूपी ने 700 करोड़ रुपये एकत्रित किए. “
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जीएसटी काउंसिल के “प्री पैक्ड और प्री लेवल्ड” फूड आइटम्स पर 5 फीसदी कर लगाने के फैसले के बाद व्यापारियों और उपभोक्ताओं की उभरी चिंताओं के बीच वित्त मंत्री का यह स्पष्टीकरण सामने आया है. गौरतलब है कि खाद्यान्न पर जीएसटी के विरोध में दिल्ली में 16 जुलाई दिल्ली में थोक बाजार बंद रखा गया था. प्री पैक्ड खाद्यान्न पर जीएसटी 18 जुलाई से प्रभावशील हो गया है. हालांकि निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी काउंसिल ने 28 जून को चंडीगढ़ में अपनी 47वीं बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया था. टैक्स लीकेज को रोकने के लिए यह फैसला बेहद जरूरी था.
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सीतारमण ने अपने ट्वीट में हालांकि दाल, पनीर और लस्सी पर पूर्व में कर लगाने संबंधी कोई उदाहरण नहीं दिया है जिन पर अब जीएसटी लगेगा.केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जीएसटी परिषद ने हाल में अपनी 47वीं बैठक में दाल, अनाज, आटा, आदि जैसे विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने को लेकर पुनर्विचार करने की सिफारिश की थी. इस बारे में बहुत सारी गलतफहमी फैलाई गई है.” जुलाई, 2017 में जीएसटी की शुरुआत के साथ ब्रांडेड अनाज, दालें और आटा पर पांच प्रतिशत कर की व्यवस्था थी. जीएसटी में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य के वैट समेत 17 केंद्रीय और राज्य कर शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘‘बाद में केवल उन्हीं वस्तुओं पर कर लगाने के लिए बदलाव किया गया, जो पंजीकृत ब्रांड या ब्रांड के तहत बेची जाने वाले वस्तु है. हालांकि, जल्द ही बड़े पैमाने पर प्रतिष्ठित विनिर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा इस प्रावधान का दुरुपयोग करते पाया गया और इन वस्तुओं पर जीएसटी राजस्व धीरे-धीरे महत्वपूर्ण रूप से घट गया.”सीतारमण ने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग ने सरकार से पैकिंग वाली वस्तुओं पर एक समान जीएसटी लगाने का आग्रह किया था, ताकि इस तरह के दुरुपयोग को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि इस मामले को ‘फिटमेंट समिति’ को भेजा गया था और कई बैठकों में इन मुद्दों की समीक्षा के बाद दुरूपयोग को रोकने के तौर-तरीकों पर सिफारिश की गई थी.सीतारमण के अनुसार, समिति की सिफारिशों की समीक्षा पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, उत्तर प्रदेश, गोवा और बिहार के सदस्यों से बने मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) द्वारा की गई थी और इसकी अध्यक्षता कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने की थी.उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में जीएसटी की 47वीं बैठक में निर्णय लिया गया, जो 18 जुलाई, 2022 से मान्य है. केवल इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने के तौर-तरीकों में बदलाव किया गया था और दो-तीन वस्तुओं को छोड़कर जीएसटी के दायरे में कोई बदलाव नहीं किया गया है.”
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सीतारमण ने कहा, ‘‘उदाहरण के रूप में दालों, अनाज जैसे चावल, गेहूं और आटा आदि जैसी वस्तुओं पर ब्रांडेड और कंटेनर में पैक होने की स्थिति में पहले पांच प्रतिशत जीएसटी लगता था. 18 जुलाई, 2022 से इन वस्तुओं के डिब्बाबंद और लेबल लगे होने पर जीएसटी लगेगा.”वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह जीएसटी परिषद द्वारा सर्व सहमति से लिया गया निर्णय था. 28 जून, 2022 को चंडीगढ़ में हुई 47वीं बैठक में दरों के युक्तिसंगत पर मंत्रियों के समूह द्वारा जब यह मुद्दा रखा गया था तब जीएसटी परिषद में सभी राज्य मौजूद थे.”