नई दिल्ली : निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक का चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एकल आधार पर शुद्ध लाभ 50 प्रतिशत बढ़कर 6,905 करोड़ रुपये हो गया. देश के दूसरे बड़े निजी बैंक ने शनिवार को शेयर बाजारों को दी गई जानकारी में कहा कि एक साल पहले की समान तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 4,616 करोड़ रुपये रहा था. वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 28,336.74 करोड़ रुपये हो गई जो एक साल पहले की इसी तिमाही में 24,379.27 करोड़ रुपये थी.
ये भी पढ़ें:-Privatization: क्या एक और सरकारी कंपनी बिकने वाली है? पांच साल से दे रही है घाटा
बैंक को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ब्याज से आय भी बढ़कर 23,671.54 करोड़ रुपये हो गई. पिछले साल की समान तिमाही में यह 20,383.41 करोड़ रुपये रही थी. परिसंपत्ति गुणवत्ता के मामले में भी बीती तिमाही बैंक के लिए अच्छी साबित हुई. सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घटकर कुल ऋण का 3.41 प्रतिशत रह गया जबकि एक साल पहले यह 5.15 प्रतिशत था. इसी तरह शुद्ध एनपीए यानी फंसा हुआ कर्ज भी 1.16 प्रतिशत से घटकर 0.70 प्रतिशत पर आ गया.
इसका असर फंसे कर्जों एवं आकस्मिक खर्चों के लिए किए जाने वाले वित्तीय प्रावधानों पर पड़ा. बैंक को पहली तिमाही में इनके लिए 1,143.82 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान करना पड़ा जबकि पिछले साल की पहली तिमाही में यह राशि 2,851.69 करोड़ रुपये थी. समेकित आधार पर बैंक का शुद्ध लाभ 55 प्रतिशत बढ़कर 7,385 करोड़ रुपये हो गया जो एक साल पहले की समान अवधि में 4,616 करोड़ रुपये रहा था.
ये भी पढ़ें:-Business Ideas: बिना इंवेस्टमेंट के स्टार्ट करें ये मुनाफे वाले बिजनेस, जॉब भी साथ में रख सकते हैं चालू
फंसे कर्जों में कमी आने और आय बढ़ने से निजी क्षेत्र के यस बैंक का चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 50 प्रतिशत बढ़कर 311 करोड़ रुपये हो गया. बैंक ने शनिवार को शेयर बाजारों को दी गई सूचना में कहा कि एक साल पहले की समान तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 207 करोड़ रुपये रहा था.
अप्रैल-जून 2022 की तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 5,916 करोड़ रुपये हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 5,394 करोड़ रुपये रही थी.
बैंक के लाभ में बढ़ोतरी की बड़ी वजह फंसे कर्जों के अनुपात में आई गिरावट रही है. उसके सकल ऋण में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) का अनुपात घटकर 13.45 प्रतिशत पर आ गया जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह अनुपात 15.60 प्रतिशत था.
ये भी पढ़ें:-Multibagger stock: एक लाख रुपए को 82 लाख बनाने वाला मल्टीबैगर स्टॉक, 102 रुपए से 8370 रुपए तक पहुंचा
वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में शुद्ध एनपीए यानी फंसे कर्जों का अनुपात भी 5.78 प्रतिशत से घटकर 4.17 प्रतिशत पर आ गया.
फंसे कर्जों एवं अन्य आकस्मिक खर्चों के लिए वित्तीय प्रावधान की जरूरत भी आलोच्य तिमाही में घटकर 175 करोड़ रुपये रह गई जो अप्रैल-जून 2021 की तिमाही में 457 करोड़ रुपये रही थी.
यस बैंक ने कहा कि उसके वैकल्पिक बोर्ड के गठन के साथ पुनर्गठन योजना भी गत 15 जुलाई से अमल में आ गई है. हालांकि इसे अभी शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी बाकी है.
बैंक के मुताबिक, नए बोर्ड ने प्रशांत कुमार को नए प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर तीन साल के लिए नियुक्त करने की अनुशंसा की है.
ये भी पढ़ें– ITR Update : रिटर्न भरने के आखिरी दिन पड़ रहा रविवार-बैंक रहेंगे बंद, करदाताओं पर इसका क्या होगा असर?
इसके अलावा बैंक ने करीब 48,000 करोड़ रुपये की तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की बिक्री के मकसद से जेसी फ्लॉवर्स के साथ मिलकर एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी बनाने के लिए बाध्यकारी समझौता किए जाने की जानकारी भी शेयर बाजारों को दी है.
कोटक महिंद्रा बैंक का वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 26 फीसदी बढ़कर 2,071.15 करोड़ रुपये रहा है. फंसे कर्ज में कमी आने से उसका लाभ बढ़ा है. कोटक महिंद्रा बैंक ने शनिवार को शेयर बाजारों को बताया कि 2021-22 की समान तिमाही में उसे 1,641.92 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था.
अप्रैल-जून 2022 तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 8,582.25 करोड़ रुपये हो गई जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 8,062.81 करोड़ रुपये थी.
ये भी पढ़ें– हॉस्पिटल रूम पर जीएसटी का आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर क्या होगा असर? एक्सपर्ट्स से समझिए
समीक्षाधीन तिमाही में ब्याज से प्राप्त आय बढ़कर 7,338.49 करोड़ रुपये हो गई. पिछले वर्ष अप्रैल-जून में यह 6,479.78 करोड़ रुपये थी. शुद्ध ब्याज आय 19 फीसदी बढ़कर 4,697 करोड़ रुपये हो गई जो पिछले वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में 3,942 करोड़ रुपये थी. जून के अंत तक परिसंपत्ति गुणवत्ता के मामले में सकल गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) घटकर सकल अग्रिम का 2.24 फीसदी रह गई. 30 जून, 2021 में यह 3.56 फीसदी थीं.
शुद्ध एनपीए यानी फंसा कर्ज भी 1.28 फीसदी से घटकर 0.62 फीसदी रह गया. समीक्षाधीन अवधि में फंसे कर्ज और आकस्मिक खर्चों के लिए वित्तीय प्रावधान कई गुना घटकर 23.59 करोड़ रुपये रहा. पिछले वर्ष समान तिमाही में यह 934.77 करोड़ रुपये था.