सबमर्जेंस टेस्ट के सहारे ANCAP ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि किसी गाड़ी पानी में गिरने या डूबने की स्थिति में कितनी सुरक्षित है. एएनसीएपी की कोशिश है कि इस टेस्ट के सहारे ये भी पता लगाया जाए कि पानी में गिरने की स्थिति में गाड़ी के सभी पार्ट्स ठीक तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं.
ANCAP Vehicle Submergence Test: बीते कुछ वक्त में कारों के सेफ्टी फीचर्स को लेकर लोगों में काफी जागरुकता आई है. मौजूदा दौर में कार बायर्स कार खरीदने से पहले उनकी सेफ्टी रेटिंग्स भी जानना पसंद करते हैं. दरअसल क्रैश टेस्ट के सहारे यह पता चलता है कि हादसे के वक्त आपकी गाड़ी कितनी सुरक्षित है और इस गाड़ी के सेफ्टी टूल्स जैसे एयरबैग्स काम कर रहे हैं या नहीं? गाड़ियों की सुरक्षा के लिए अब एक अलग स्तर क्रैश टेस्ट किए जाते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई इंडिपेंडेंट क्रैश टेस्टिंग अथॉरिटी (ANCAP) का कहना है कि वे साल 2023 से कार का सबमर्जेंस टेस्ट शुरू करने जा रहे हैं जिससे गाड़ी कितनी सुरक्षित है इसका टेस्ट आधुनिक तरीके से किया जाएगा. ANCAP ने यह भी कहा कि है कि गाड़ियों के लिए यह खास टेस्ट अगले साल की शुरुआत से चालू किया जा सकता है.
पानी में कार गिरने पर कितनी सुरक्षित ?
सबमर्जेंस टेस्ट के सहारे ANCAP ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि किसी गाड़ी पानी में गिरने या डूबने की स्थिति में कितनी सुरक्षित है. एएनसीएपी की कोशिश है कि इस टेस्ट के सहारे ये भी पता लगाया जाए कि पानी में गिरने की स्थिति में गाड़ी के सभी पार्ट्स ठीक तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं.
कितनी देर में खुलेगा दरवाजा
ANCAP का कहना है कि गाड़ी बनाने वाले निर्माताओं को इस बात का प्रूफ देना होगा कि अगर किसी हादसे में गाड़ी पानी में डूब जाती है तो 10 मिनट तक गाड़ी में बैठे यात्री दरवाजों को खोल सकेंगे या नहीं. वहीं इस स्थिति में पैसेंजर इलेक्ट्रिक विंडो ओपन कर सकते हैं या नहीं. एएनसीएपी का कहना है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि गाड़ी डूबने जैसी खतरनाक परिस्थितियों के दौरान यात्री कार के अंदर से सुरक्षित बाहर निकलने की कोशिश कर सके और अपनी जान बचा सकें.
अगर कार के पानी में डुबने की स्थिति में गाड़ी का दरवाजा या विंडो नहीं खुलता है तो कार निर्माताओं को ऐसे तरीके इजात करने होंगे जिससे यह किया जा सके. जिससे विंडो या दरवाजों को आसानी से और सुरक्षित तरीके से खोला या तोड़ा जा सके। ANCAP का मानना है कि कार बनाने वाली कंपनियों को इस बात का जिक्र अपने प्रॉडक्ट्स की मैनुअल गाइड में भी करना चाहिए.