केला भारत वर्ष का प्राचीनतम, स्वादिष्ट, पौष्टिक, पाचक एवं लोकप्रिय फल है. हमारे देश में प्राय: हर गाँव में केले के पेड़ पाए जाते हैं. माना जाता है कि केले की खेती, कम लागत में शानदार मुनाफा देता है. यही वजह है कि इन दिनों बहुत से किसान केले की खेती कर रहे हैं.
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नई दिल्ली. भारत एक कृषि प्रधान देश है. आज भी भारत की लगभग 58 प्रतिशत आबादी के आजीविका का स्रोत कृषि है. अगर आप भी खेती के जरिए अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको ऐसा ही एक बिजनेस आइडिया दे रहे हैं. हम आपको एक ऐसे ही बिजनेस के बारे में बताएंगे, जिसमें आप घर बैठे बंपर कमाई कर सकते हैं. इसके लिए आपको कहीं बाजार में भटकने की जरूरत भी नहीं है.
हम बात कर रहे हैं केले की खेती के बारे में. केला एक नकदी फसल है. आपको बता दें कि एक बार केले के पौधे लगाने पर 5 साल तक फल मिलते हैं. इसमें किसानों को तुरंत पैसे मिलते हैं. आज कल किसान केले के खेती के जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं.
केला भारत वर्ष का प्राचीनतम, स्वादिष्ट, पौष्टिक, पाचक एवं लोकप्रिय फल है. हमारे देश में प्राय: हर गाँव में केले के पेड़ पाए जाते हैं. माना जाता है कि केले की खेती, कम लागत में शानदार मुनाफा देता है. यही वजह है कि इन दिनों बहुत से किसान केले की खेती कर रहे हैं. किसान अब गेहूं, मक्का की पारंपरिक खेती को छोड़कर नकदी फसल की ओर रूख कर रहे हैं.
कैसा हो भूमि और जलवायु ?
केले की खेती के लिए गर्मतर एवं सम जलवायु उत्तम मानी जाती है. अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केला की खेती बेहतर होती है. जीवांश युक्त दोमट और मटियार दोमट भूमि केले की खेती के लिए बेहतर मानी जानी है. केले की फसल के लिए भूमि का PH मान 6-7.5 तक उपयुक्त मानी जाती है.
कितनी आयेगी लागत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बीघे केले की खेती करने में करीब 50,000 रुपये लागत आती है. इसमें दो लाख रुपये तक की आसानी से बचत हो जाती है. एक्सपर्ट्स का मानना है बाकी फसलों के मुकाबले केले में जोखिम कम है. केले की फसल उगाने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करने से लागत और भी कम हो जाती है. किसानों को गोबर की खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. यह कहा जाता है कि केले की कटाई के बाद जो कचरा बचता है उसे खेत के बाहर नहीं फेंकना चाहिए. इसे खेत में ही पड़े रहने देना चाहिए. यह खाद का काम करता है. इससे केले की पैदावार और बेहतर होता है.
निराई-गुड़ाई का रखें विशेष ध्यान
इनकी देखरेख के लिए निराई-गुड़ाई बेहद जरूरी है. केले की फसल के खेत को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए. पौधों को हवा एवं धूप आदि अच्छी तरह से निराई गुड़ाई करने पर मिलता रहता है, जिससे फसल अच्छी तरह से लगती है और फल अच्छे आते है.
कौन सी प्रजातियां है बेस्ट ?
सिंघापुरी के रोबेस्टा नस्ल के केले को खेती के लिए बेहतर माना जाता है. इससे उपज अधिक होती है. बसराई, ड्वार्फ ,हरी छाल,सालभोग,अल्पान तथा पुवन इत्यादि प्रजातियाँ भी केले के अच्छे नस्ल माने जाते हैं. किसानों का मानना है कि केले की खेती में रिस्क कम और फायदा अधिक है. इसलिए आजकल किसान केले की खेती की ओर रूख कर रहे हैं. केले का एक पौधा करीब 60 से 70 किलो की पैदावार दे सकता है.
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आपको बता दें कि केले में शर्करा एवं खनिज लवण जैसे कैल्सियम तथा फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. फलों का उपयोग पकने पर खाने हेतु, कच्चा सब्जी बनाने और इसके आलावा आटा बनाने तथा चिप्स बनाने के लिए भी किया जाता है. इसकी खेती लगभग पूरे भारत वर्ष में की जाती है.