Rishi Sunak lost UK Prime Minister election: बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद सुनक ने सबसे पहले प्रधानमंत्री पद पर दावा ठोका था. ‘रेडी फॉर ऋषि’ कैम्पेन से उन्होंने बढ़त बनाई. इसके बाद साजिद जाविद, नदीम जवाहिरी और आखिर में मॉरडेंट रेस से बाहर हुईं. ट्रस रेस में सबसे आखिर में शामिल हुईं और वक्त के साथ सबसे आगे निकल गईं. आइए जानते हैं ब्रिटिश पीएम की रेस में ऋषि सुनक की हार के पांच कारण…
लंदन. ब्रिटेन को सोमवार को नया प्रधानमंत्री मिल चुका है. लिज ट्रस (Liz Truss) ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री चुनी गई हैं. उन्होंने भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) को करीब 21 हजार वोटों से हराया है. लिज बोरिस जॉनसन की जगह लेंगी. आधिकारिक सत्ता हस्तांतरण और ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री का शपथग्रहण समारोह मंगलवार को बाल्मोरल में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की उपस्थिति में होगा. सोशल मीडिया पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री इलेक्शन में लिज ट्रस की जीत से ज्यादा ऋषि सुनक की हार की चर्चा ज्यादा हो रही है.
कैंपेनिंग और चुनाव में ऋषि सुनक (Rishi Sunak)शुरुआत से लीड कर रहे थे. लिज ट्रस ने तो काफी बाद में अपनी दावेदारी पेश की. धीरे-धीरे ज्यादातर डिबेट और सर्वे में ट्रस, सुनक से आगे निकलती गईं. वह पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान कहीं भी कमजोर नहीं नज़र आईं.
बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद सुनक ने सबसे पहले प्रधानमंत्री पद पर दावा ठोका था. ‘रेडी फॉर ऋषि’ कैम्पेन से उन्होंने बढ़त बनाई. इसके बाद साजिद जाविद, नदीम जवाहिरी और आखिर में मॉरडेंट रेस से बाहर हुईं. ट्रस रेस में सबसे आखिर में शामिल हुईं और वक्त के साथ सबसे आगे निकल गईं.
आइए जानते हैं ब्रिटिश पीएम की रेस में ऋषि सुनक की हार के पांच कारण…
1. टैक्स लॉन्ड्रिंग
ऋषि सुनक के चुनाव अभियान में सबसे बड़े कांटों में एक दुर्भाग्य से उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति रहीं. अक्षता भारतीय अरबपति और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की बेटी हैं. ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऋषि को इस बारे में विवरण देने के लिए मजबूर किया गया था कि उन्होंने अपने परिवार के भविष्य का प्रबंधन कैसे किया. रिपोर्ट के मुताबिक, ऋषि सुनक की कुल संपत्ति 840 मिलियन डॉलर है. इसके कारण उन्हें नियमित रूप से यूके के सबसे अमीर सांसद के रूप में जाना जाता है. सुनक को प्रॉपर्टी का अधिकांश हिस्सा अक्षता से उनकी शादी के बाद मिला था. इसमें इंफोसिस में 794 मिलियन डॉलर की 0.93 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है.
‘संडे टाइम्स’ के अनुसार, सुनक की पत्नी अक्षता के पास ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की तुलना में 495 मिलियन डॉलर की संपत्ति है. यानी वह महारानी से भी ज्यादा अमीर हैं. इसके अलावा, अक्षता लाभांश पर टैक्स में लाखों पाउंड बचाने में सक्षम थी, जो उसके परिवार के आईटी व्यवसाय से एकत्र किया गया था. इस मुद्दे के एक बड़े विवाद में बदल जाने के बाद अक्षता विदेशी आय पर अधिक कर देने के लिए तैयार हो गईं. हालांकि, तब तक नुकसान हो चुका था.
‘द इंडिपेंडेंट’ ने लिखा- अक्षता सिर्फ इतना बताएं कि उन्होंने अब तक ब्रिटिश सिटिजनशिप क्यों नहीं ली? वो यहां से बिजनेस तो ऑपरेट करती हैं, लेकिन नॉन डोमिसाइल स्टेटस का नाजायज फायदा उठाकर टैक्स भरने से बच जाती हैं. इससे ब्रिटेन को 20 लाख पाउंड का हर साल नुकसान होता है.
2. सुनक के टैक्स में कटौती
लिज ट्रस के पक्ष में वोटिंग को मोड़ने के लिए सबसे बड़े नीतिगत फैसलों में एक सुनक का करों में कटौती न करने का विरोध था. हालांकि, उनके समकक्ष ट्रस का मानना है कि कर कटौती से अतिरिक्त खर्च और कर राजस्व बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को बचाया जा सकेगा. ट्रस के तत्काल कर कटौती के लोकलुभावन उपाय से निश्चित रूप से रूढ़िवादी वोट आधार के बीच उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई. यह महसूस करते हुए कि मार्जिन बढ़ रहा है, सुनक और उनकी टीम ने काफी बाद में नया ऐलान किया. सुनक ने कहा कि अगर सत्ता में आए, तो वह 2029 तक आयकर की मूल दरों में 20 प्रतिशत की कमी करेंगे. तब तक जितना नुकसान होना था.. हो चुका था.
3. बोरिस जॉनसन का तख्तापलट
‘द इंडिपेंडेंट’के एडिटोरियल में कहा गया- ‘सुनक ही वो शख्स थे, जिन्होंने बोरिस जॉनसन का एक तरह से तख्तापलट किया. वो भी तब जबकि जॉनसन ने ही सुनक के पॉलिटिकल करियर को आगे बढ़ाया था. इससे लोगों में नाराजगी थी. दरअसल, ब्रिटेन में सुनक की छवि जॉनसन की गद्दी हथियाने वाले की बनी है. सुनक ने ही जॉनसन के खिलाफ इस्तीफा देकर बगावत शुरू की थी. कुछ दिन पहले बोरिस जॉनसन ने सुनक के खिलाफ ‘बैक एनीवन बट ऋषि’ नाम का सीक्रेट कैम्पेन भी शुरू किया था.
4.ग्रीन कार्ड विवाद
कुछ खबरों के मुताबिक, सुनक जब अमेरिका से ब्रिटेन लौटे तो उन्होंने वहां का ग्रीन कार्ड सरेंडर नहीं किया. 2006 से 2009 तक वो अमेरिका में काम करते रहे. कैलिफोर्निया में अब भी उनका 5 लाख पाउंड का आलीशान पेंटहाउस है.‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के लोग दोहरी नागरिकता रख सकते हैं, लेकिन सुनक जैसे बड़े नेता के लिए इसे अच्छा नहीं माना गया. कंजर्वेटिव पार्टी भी दोहरी नागरिकता के मुद्दे पर अपने नेता का बचाव नहीं कर सकी. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों की एक रिपोर्ट में कहा गया था- सुनक के लिए पत्नी के टैक्स से जुड़े मामलों का बचाव करना मुश्किल है. कुछ लोगों को लगता है कि वो बहुत लंबे वक्त तक ब्रिटेन में नहीं रहना चाहते.
इन आरोपों से खुद सुनक तनाव में थे. पिछले दिनों उन्होंने माना था कि चांसलर बनने के 18 महीने बाद तक उनके पास अमेरिकी ग्रीन कार्ड था. हालांकि उनका दावा था कि अक्टूबर 2021 में उन्होंने यह स्टेटस लौटा दिया.
5.सुनक की आलीशान जीवन शैली
‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में, सुनक ने उत्तरी इंग्लैंड के Teesside में एक निर्माण स्थल का दौरा किया, जहां उन्हें 595 डॉलर के प्रादा साबर के लोफर्स पहने देखा गया. कंजर्वेटिव पार्टी के नेता मेयर बेन हौचेन का समर्थन हासिल करने के लिए टेसाइड का दौरा कर रहे थे. हालांकि, सुनक की यात्रा से अधिक चर्चा उनके जूतों की रही. यह पहली बार नहीं था जब सुनक ने अपने महंगे शौक से सुर्खियां बटोरीं.
2020 में देश के चांसलर के रूप में उन्हें पारंपरिक बजट से पहले तस्वीर में 220 डॉलर के कॉफी मग का उपयोग करते हुए देखा गया था. सुनक ने यहां से भी सबक नहीं लिया, उन्होंने उत्तरी यॉर्कशायर में एक पुल के निर्माण में $ 4,80,000 (£ 400,000) से अधिक खर्च कर दिए. इस दौरान ब्रिटेन की जनता हीटवेव और जीवन यापन की लागत में वृद्धि के लिए परेशान थी.
ऋषि सुनक के हार का भारत पर कितना असर?
भारत-ब्रिटेन संबंधों पर ऋषि सुनक की हार का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. ऋषि सुनक भारतीय मूल के जरूर हैं, लेकिन वे पूरी तरह से ब्रिटिश नागरिक हैं. उनकी प्राथमिकता भारत से कहीं ज्यादा ब्रिटेन को लेकर है. ऐसे में वह अगर प्रधानमंत्री भी बन जाते, तो ब्रिटेन के हितों को ही महत्व देते.