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Insurance Law: बीमा कानून में बदलाव पर विचार कर रहा वित्त मंत्रालय, न्यूनतम पूंजी की जरूरत को करेगा कम

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Insurance Law: वित्त मंत्रालय देश में बीमा (Insurance) की पहुंच बढ़ाने के लिए बीमा कानूनों में बदलाव पर विचार कर रहा है. इनमें न्यूनतम पूंजी (Minimum Capital) की जरूरत को कम करने का प्रस्ताव भी शामिल है. देश में बीमा पहुंच 2019-20 के 3.76 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 4.20 प्रतिशत हो गई है.

Insurance Law: वित्त मंत्रालय देश में बीमा (Insurance) की पहुंच बढ़ाने के लिए बीमा कानूनों में बदलाव पर विचार कर रहा है. इनमें न्यूनतम पूंजी (Minimum Capital) की जरूरत को कम करने का प्रस्ताव भी शामिल है. देश में बीमा पहुंच 2019-20 के 3.76 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 4.20 प्रतिशत हो गई है. यह 11.70 प्रतिशत की वृद्धि बैठती है. मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी (Corona Virus) की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में बीमा प्रीमियम (Insurance Premium) के प्रतिशत के आधार पर मापी जाने वाली बीमा पहुंच में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

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बीमा कानून, 1938 की समीक्षा कर रहा है वित्त मंत्रालय

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय बीमा कानून, 1938 की व्यापक समीक्षा कर रहा है और क्षेत्र की वृद्धि के लिए कुछ उचित बदलाव करना चाहता है. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है. सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय बीमा कारोबार शुरू करने के लिए न्यूनतम पूंजी की जरूरत को 100 करोड़ रुपये से घटाना चाहता है. न्यूनतम पूंजी की जरूरत को कम करने पर बैंकिंग क्षेत्र की तरह विभिन्न प्रकार की कंपनियां बीमा कारोबार में उतर सकेंगी.

सूत्रों ने कहा कि इस प्रावधान को नरम करने से सूक्ष्म बीमा, कृषि बीमा और क्षेत्रीय रुझान वाली बीमा कंपनियां भी बीमा कारोबार में उतर सकेंगी. सूत्रों ने बताया कि नए खिलाड़ियों के प्रवेश से न केवल बीमा की पहुंच बढ़ेगी बल्कि इससे रोजगार भी मिलेगा.

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बीमा कंपनी में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा को 49 से 74 फीसदी कर चुकी है सरकार

सरकार ने पिछले साल बीमा कानून में संशोधन करते हुए बीमा कंपनी में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा संसद ने साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकृत) संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया है. इससे सरकार किसी बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर इक्विटी पूंजी के 51 प्रतिशत से नीचे ला सकती है. इससे निजीकरण का रास्ता खुलेगा.

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