मुंबई: बढ़ती महंगाई और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 28-30 को होने वाली है. इससे पहले अटकलें लगाई जा रही है कि RBI रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी कर सकता है ताकि
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इंफ्लेशन को काबू में किया जा सके. लेकिन रेपो रेट में होने वाली बढ़ोतरी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा.
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क्योंकि इससे होम लोन और अन्य कर्ज महंगे हो जाएंगे. हालांकि जाने-मानी अर्थशास्त्री अनीता रंगन का मानना है कि सितंबर के बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थम जाएगा. इसके लिए उन्होंने 3 बड़े कारण गिनाए हैं.
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महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए रिजर्व बैंक इस साल 3 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर चुका है. आरबीआई ने मई और जून कुल 90 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी के बाद अगस्त में फिर रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की है. आरबीआई ने बैंकों के दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर 3 महीने में 1.40 फीसदी बढ़ाया है और अब यह दर 5.40 प्रतिशत है.
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महंगाई दर बढ़ने से बढ़ा दबावसोमवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश की रिटेल महंगाई दर बढ़कर आई है. यह दर जुलाई के 6.71 फीसदी के मुकाबले अगस्त में 7 प्रतिशत पर आ गई है. महंगाई पर नियंत्रण पाने की कोशिशों को लेकर यह आंकड़ा केंद्रीय बैंक के लिए एक बड़ा झटका है जिससे इस बात की संभावना
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बनती है कि वह रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है. एमपीसी इस बार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है. जर्मनी के डॉयचे बैंक ने इस वृद्धि का अनुमान लगाया है. अगर रेपो रेट में 0.25 फीसदी का इजाफा होता है तो ये दर 5.65 फीसदी तक पहुंच जाएंगी. दरअसल महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए रिजर्व बैंक मांग को कम करने की कोशिश करता है और इसके लिए कर्ज महंगा किया जाता है.
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फिर महंगा होगा कर्ज और होम लोन की EMIअगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में वृद्धि करता है बैंकों द्वारा दिया जाने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा. दरअसल, बैंक के कई लोन सीधे रेपो रेट से जुड़े होते हैं. इसलिए रेपो रेट में होने वाला कोई भी बदलाव आम जनता तक पहुंचता है. पिछली 3 बार से नीतिगत दरों में वृद्धि के कारण होम लोन 8 फीसदी के करीब पहुंच गया है. इस बार यह 8 फीसदी को पार कर सकता है. ऐसे में लोगों के लिए लोन लेना और महंगा हो जाएगा.
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सितंबर के बाद नहीं होगी ब्याज दरों में बढ़ोतरी?मशहूर इकोनॉमिस्ट अनीथा रंगन ने ‘मनीकंट्रोल’ से खास बातचीत में यह अनुमान जताया है कि सितंबर के बाद RBI ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करेगा. इसके लिए उन्होंने कई कारण बताए, जिसमें
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कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, पहली तिमाही में अपेक्षित GDP में वृद्धि अनुमान से कम होने के कारण RBI को ग्रोथ से जुड़े अनुमानों को कम करने के लिए प्रेरित करेगा. वहीं दिसंबर में अगली एमपीसी बैठक होगी और उस वक्त तक मुद्रास्फिति की दर 6 फीसदी तक आने की संभावना है व ग्लोबल पॉलिसी एक्शन में और ज्यादा
निश्चितता रहने से केंद्रीय बैंक को और आगे के लिए और स्पष्टता मिलेगी.
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इसके अलावा जियो पॉलिटिकल टेंशन भी कम होने की उम्मीद है. क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष धीरे-धीरे कम हो रहा है. इसी का असर है कि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है और 90 डॉलर के नीचे जा सकता है. तेल की कीमतों में गिरावट से महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी.