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Financial Tips : मंदी की गहराती आशंका के बीच कैसे बनाएं निवेश प्‍लान, संकट से बचने को क्‍या सावधानी जरूरी?

अमेरिका, यूरोप सहित दुनियाभर के देश इस समय महंगाई से जूझ रहे और इस पर काबू पाने के लिए ब्‍याज दरों में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी करते जा रहे हैं. ऐसे में विश्‍व बैंक ने चेतावनी दी है कि यही हाल रहा तो अगले साल वैश्विक मंदी से इनकार नहीं किया जा सकता है. मंदी की गहराती इन आशंकाओं के बीच आम आदमी और एक निवेशक को क्‍या करना चाहिए. एक्‍सपर्ट के नजरिये से इसे समझने का प्रयास करते हैं.

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नई दिल्‍ली. महामारी और महंगाई के बाद अब दुनिया को मंदी की चिंता सताने लगी है. विश्‍व बैंक और आईएमएफ ने भी अगले साल की शुरुआत में ग्‍लोबल मंदी का संकेत दिया है. इसका ज्‍यादा असर अमेरिका, यूरोपीय देशों के अलावा चीन जैसे कुछ एशियाई देशों पर पड़ेगा.

वैसे तो दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां भारत पर इस मंदी का खास असर नहीं पड़ने का दावा कर रही हैं, लेकिन अमेरिका में मंदी आने से भारतीय बाजार का प्रभावित होना भी तय माना जा रहा है. ऐसे में एक निवेशक के तौर पर आपको अपनी फाइनेंशियल रणन‍ीति कैसे बनानी चाहिए, इस पर अभी से तैयार करना जरूरी है. हम एक्‍सपर्ट के जरिये यह जानने की कोशिश करेंगे कि मंदी के दौरान आपको किन बातों से बचना चाहिए और किस तरह की रणनीति बनानी चाहिए.

कम करें लोन की देनदारी
निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि मंदी में कंपनियों की आमदनी घटने और रोजगार के अवसर कम होने की वजह से कमाई पर खास असर पड़ता है. ऐसे में कर्ज की देनदारियों को कम रखना खुद को संकट से बचाने का कारगर कदम हो सकता है. ऐसे में कोशिश करें कि लोन की ईएमआई घटाने के लिए कुछ हिस्‍से का प्री-पेमेंट कर दें, ताकि आपके ऊपर हर महीने आने वाला बोझ कम हो जाए.

इसके अलावा पर्सनल लोन जैसे ज्‍यादा ब्‍याज दर वाले कर्ज को मंदी की आशंकाओं के बीच लेने से बचना चाहिए. बैंक इस तरह के लोन को जोखिम वाला मानते हैं और इस पर ज्‍यादा ब्‍याज दर भी वसूलते हैं. ऐसे में अगर आप खुद के खर्चों को सीमित कर लोन लेने से बच सकते हैं तो मंदी की आशंकाओं के बीच यह आपके पर्सनल फाइनेंस को संकट में फंसने से बचाने का कारगर तरीका हो सकता है.

नौकरी बदलनी चाहिए या नहीं
मंदी की आशंका से घिरीं ज्‍यादातर कंपनियां इस दौर में छंटनी करती हैं. रोजमर्रा के खर्चों के साथ लोन आदि का बोझ ढोने वाले नौकरीपेशा के हाथ अगर खाली हो जाएं तो मुसीबतों का पहाड़ टूट सकता है. लिहाजा आपको इस समय ऐसी कंपनी के साथ जुड़ने पर जोर देना चाहिए, जिसकी वित्‍तीय स्थिति मजबूत हो जो मंदी के झटकों को झेल सके. अगर आप पहले से किसी मजबूत कंपनी के साथ जुड़े हैं तो बेहतर होगा कि मंदी की आशंकाएं खत्‍म होने तक खुद को बनाए रखिए और कुछ पैसे बढ़ाने की लालच में खुद को बड़ी मुसीबत में न डालें.

कमाई के एक से ज्‍यादा स्रोत बनाएं
मंदी के दौर में जब नौकरियों पर तलवार लटकने लगती है, उस माहौल में कमाई का सिंगल स्रोत होना बेहद नुकसानदायक बन सकता है. अगर आप निजी क्षेत्र में काम करते हैं, जहां ज्‍यादा जोखिम है तो अपनी कमाई के एक से अधिक स्रोत जरूर बनाएं. इसके लिए खर्चों पर लगाम कसिए और निवेश के जरिये फंड बनाएं जो आपके सेकंडरी आय का स्रोत बन सके.

जीवन और स्‍वास्‍थ्‍य…दोनों बीमा जरूरी
बीमा मामलों के जानकार मनोज जैन का कहना है कि मंदी के दौर में अगर अस्‍पताल में भर्ती होना पड़े तो यह कितना महंगा पड़ सकता है, इसकी बानगी महामारी के दौरान दिख चुकी है. बेहतर होगा कि आपके पास एक अच्‍छी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी हो, जो ऐसी किसी मुसीबत को टाल सके. इतनी ही जरूरी जीवन बीमा पॉलिसी भी है, क्‍योंकि परिवार के मुखिया के साथ अनहोनी की स्थिति में वित्‍तीय संकट बढ़ जाएगा. मंदी की आशंकाओं के बीच अपना बीमा कराना कारगर कदम हो सकता है.

वेतन का छह गुना आपात फंड बनाएं
वित्‍तीय जरूरतें और मुसीबतें कभी बताकर नहीं आती हैं. लिहाजा आपके पास अच्‍छा खासा आपात फंड होना चाहिए, जो आपके वेतन का कम से कम 6 गुना हो. नौकरी जाने या अचानक कोई जरूरत पड़ने पर यह फंड आपकी मुसीबतें टाल सकता है. निवेशकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके खाते में पर्याप्‍त फंड है. आप चाहें तो इस राशि को बचत खाते में न जमा कर लिक्विड फंड में डाल सकते हैं, जिस पर सेविंग अकाउंट के मुकाबले बेहतर ब्‍याज दर मिलती है.

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शेयर बाजार से दूर ही रहें
अगर आप शेयर बाजार के नए खिलाड़ी हैं तो मंदी की आशंकाओं के बीच पैसे लगाने से बचना चाहिए. मंदी में ज्‍यादातर कंपनियां अपनी पूंजी सुरक्षित रखना चाहती हैं, जिसका असर बाजार में उनके शेयरों के प्रदर्शन पर भी पड़ता है और स्‍टॉक्‍स में गिरावट आती है. आपको ऐसी किसी भी स्थिति से बचकर रहना है, जो मंदी के बीच आपको वित्‍तीय रूप से नुकसान पहुंचाए. बेहतर होगा कि आप अपना निवेश म्‍यूचुअल फंड में डाल दें, वह भी लंबे समय के लिए.

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