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Gyanvapi case: शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग पर अब 11 अक्टूबर को आएगा फैसला

Gyanvapi case: ज्ञानवापी मामले में सुनवाई टल गई है.  सर्वे में मिले कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग के मुद्दे पर यह फैसला आने वाला था लेकिन कोर्ट ने फैसले की अगली तारीख 11 अक्टूबर तय की है. बता दें कि इस मामले में गुरुवार 29 सितंबर को सुनवाई पूरी हो चुकी है. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसले के लिए आज की तारीख तय की थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान वादी राखी सिंह के वकील ने कार्बन डेटिंग न कराए जाने की मांग की थी, जबकि चार अन्य वादियों के वकील विष्णु शंकर जैन ने कार्बन डेटिंग या किसी अन्य तरह की साइंटिफिक जांच करवाकर कथित शिवलिंग की प्राचीनता का पता लगाने की गुहार लगाई थी.

अदालत आज इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच होनी चाहिए या नहीं. बता दें कि 16 मई को कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिले शिवलिंग जैसी आकृतिनुमा चीज की कार्बन डेटिंग की मांग वादी संख्या दो से पांच तक की ओर से वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने रखी थी. उन्होंने कहा, ‘हमने आकृतिनुमा चीज के नीचे अरघे और आसपास की जांच मांग की है. हम भी नहीं चाहेंगे कि शिवलिंग से छेड़छाड़ हो, लेकिन जांच से यह पता चलेगा कि शिवलिंग कितना पुराना, लंबा, ऊंचा और गहरा है.

उधर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने कहा कि शिवलिंग पत्थर का होता है. उसकी कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती. कार्बन डेटिंग जीवित चीज की होती है. इनकी यह भी दलील है कि सर्वे के मुद्दे पर दी गई आपत्ति का अब तक निस्तारण नहीं हुआ है, ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन प्रीमेच्योर है. इस आकृति को लेकर भ्रमित किया जा रहा है, यह फव्वारा ही है. उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने फव्वारे को सुरक्षित व संरक्षित रखने का आदेश दिया है. ऐसे में उस पर जांच के लिए केमिकल डालने पर उसका क्षरण होगा. ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है.’

अदालत में चार महिला वादियों की तरफ से जहां सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने वैज्ञानिक विधि, जीआरपी सर्वे के जरिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से 16 मई को बरामद शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, उम्र और आसपास की एरिया की जांच कार्बन डेटिंग या जो भी आधुनिक तरीके है उस माध्यम से कराने की गुहार लगाई.

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