16 नवंबर:
जैसे ही हम जामनगर से द्वारका की तरफ गए गुजरात विधानसभा चुनाव के अलग रंग दिखाई देने लगे। अहमदाबाद, मोरबी, सुरेंद्रनगर और राजकोट में इसकी भनक लगी कि आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल मॉडल भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है लेकिन सौराष्ट्र रीजन के दक्षिण जाते-जाते तो कांग्रेस अरब सागर के मंझधार में दिखाई दे रही है। भाजपा के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर भी साफ दिखाई दे रही है। जब हम देवभूमि द्वारका पहुंचे तो वहां अचानक ऑटो का रंग हरा-पीला से काला-पीला हो गया। हमने ऑटो के रंग के बदले कुछ चालकों से पूछा कि लहर किस तरफ है। दो थे और दोनों ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा को देख लिया , अब बदलाव चाहिए। हम देवकीनंदर होटल में रुके। द्वारकाधीश के दर्शन किए और अहले सुबह चाय पीने निकले तो इस देवभूमि में गंदगी का अंबार दिखा। चाय की चुस्की के साथ हमने चायवाले से इस पर सवाल किया तो भारत मांगे ने जवाब दिया- सरकार को देखना चाहिए। हम लोग अब परेशान हो चुके हैं।
द्वारका से पबुभाई माणेक लगातार सात बार जीत चुके हैं। 1990 से वो निर्दलीय, कांग्रेस और अब भाजपा के टिकट पर परचम लहराते आए हैं। जब भारत से मैंने पूछा कि जीत कैसे जाते हैं तो पता चला पक्ष देख कर वोट करने की बात शहरों तक सीमित हो सकती है, वोट तो यहां भी जाति देख कर होती है। मतलब कास्ट भी एक बड़ा फैक्टर है। ये सिर्फ भारत मांगे के कहने से नहीं लिख रहा बल्कि आगे की जहां हम गए वहां की कहानी से भी आप इसकी तस्दीक कर सकते हैं। मांगे ने बताया – सर, हम सतवार जाति के हैं जो खेतों में मूंगफली के दाने बिछाता है और मजदूरी करता है। जो जीत रहे हैं वो वाघेल हैं। रविंद्र जडेजा के कास्ट वाले। मतलब क्षत्रिय। उसी के बगल में अमृत भाई की दुकान थी। वो माली जाति से हैं। हमने पूछा कि क्या वाघेल वोटर बहुत ज्यादा हैं तो अमृत ने बताया – नहीं , अगर आहीर (अहीर), माली, सतवार सबको मिला दें तो वो कम पड़ जाएंगे। लेकिन उनकी चलती है। मंदिर के पास जाकर देखो न उनका स्टैच्यू लगा है।
ये बात साफ थी कि माणेक का वर्चस्व इलाके में है और लोग उनके खिलाफ बोलना नहीं चाहते। लेकिन आम आदमी पार्टी की इंट्री जोरदार दिखी। ऑटो वालों के अलावा अमृत और मांगे ने भी कहा कि इस बार आम आदमी पार्टी को वोट पड़ेगा। मांगे बताने लगा कि कैसे देवदर्शन के लिए पंजाब के एक इंस्पेक्टर आए हैं और वो भी देवकीनंदर होटल में रुके हैं। चाय पीने आए तो बताने लगे कि पंजाब में तो बिजली फ्री मिलता है। यानी मुफ्त बिजली, पानी सबको अपील कर रहा है। यहां मछुआरों से मिलने भी हम गए। तो पता चला कि हाल ही में बुलडोजर चला है। दरअसल समंदर किनारे की बस्ती में अतिक्रमण विरोधी अभियान चला गया था। अब इनको डर है कि उन्हें भी भगा दिया जाएगा। जावेद भाई ने कहा कि कारोबार बहुत मंदा है और मछलियां कम मिल रही हैं। डीजल के दाम बढ़ गए लेकिन सब्सिडी नहीं। हमने पूछा कि माणेक क्या इस बार जीतेंगे तो उनका कहना था – उनकी मेजोरिटी है न। तो उधर वोट एकतरफा पड़ेगा तो जीतेंगे नहीं तो हारेंगे।
पोरबंदर का बदला मिजाज
द्वारका से हम पोरबंदर की तरफ निकले। रास्ते में एक होटल में खाना खाया तो वहां मालदारी लोग बहुत मिले। पारंपिरक लिबास में। ये गाय पालते हैं। एक-एक किसान के पास 100 से 200 गाय होती हैं। भाषाई दिक्कत के बावजूद उन लोगों ने वही बताया जो अहमदाबाद के एक चायवाले ने बताई थी। वो बांसकांठा का रहने वाला था। मालदार समाज भाजपा से नाराज है। कारण ये है दूध का दाम न मिलना और नगरपालिका की कार्रवाई। सड़कों पर घूम रही गायों को वो पकड़ने का अभियान चला था जिससे मालदारी समाज नाराज है। भीखणू भाई कहते हैं – सड़क से कुत्ते नहीं ले जाते लेकिन गाय ले जाते हैं। गाय को हम भगवान से भी ज्यादा प्यार करते हैं। उनको उठाकर जेल जैसे गेट के अंदर रख देते हैं।
पोरबंदर पहुंचे तो पहले द्वारका के मछुआरों की तरह यहां के मछुआरों से बात की। उनमें भी नाराजगी दिखी। फिर कीर्तिभवन में बापू के जन्मस्थल घूमने के बाद हमने बात की स्थानीय पत्रकार जयेश जोशी से। उनसे हमने कुतियाना और पोरबंदर विधानसभा सीटों के बारे में पूछा। उन्होंने कहा – दोनों सीटों पर खूब चर्चा हो रही है। पोरबंदर में भाजपा से बाबूभाई बोखीरिया और कांग्रेस के अर्जुन मोढवाडिया दोनों हीं कद्दावर नेता हैं। पिछले बीस साल से यही दोनों हार-जीत रहे हैं। बाबूभाई हैट्रिक लगाने मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी का भी कैंडिडेट है लेकिन वो कांग्रेस का ही नगरसेवक है। इसलिए माहौल बहुत बदला हुआ नहीं हैं। अब कांधल जडेजा की बात करें कुतियाना में तो उन्होंने समाजवादी पार्टी से टिकट ले लिया है। कुतियाना में तो भाजपा के लिए मुश्किल ही है। अभी डेढीबेन ओडेदरा मैदान में हैं। इस बार चार जंग में है। एक तो गॉडमदर का बेटा कांधल जडेजा है। दूसरी ओर भाजपा है औऱ तीसरी ओर आम आदमी पार्टी भी टक्कर दे रही है। भीमाभाई मकवाणा की जाति रब्बारी है और ये काफी संख्या में कुतियाना में हैं। कांग्रेस की तरफ से नाथाभाई भूराभाई है। इसने कोरोना में लोगों की बहुत सेवा की है।
जयेश जोशी का मानना है कि गॉडमदर या देश की पहली लेडी डॉन कही जाने वाली संतोकबेन का बेटा कांधल जडेजा भले रॉबिनहुड की छवि रखता हो लेकिन अपराध नहीं करता। जब हमने पूरे सौराष्ट्र रीजन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- कुछ मुद्दे हैं। महंगाई, मोरबी और किसान। मुझे लगता है इस बार भाजपा माइनस में रहेगा। कांग्रेस को फायदा हो सकता है। अभी पोरबंदर सिटी में भाजपा से रोष नहीं है लेकिन गांव में जाइए तो वहां दिखेगा। शहर और गांव के बीच वोटर्स के मत में अंतर है। माछिमारी (मछुआरे) समाज की बहुत समस्या है। डीजल की समस्या है। जब हमने उनसे कहा कि द्वारका आने के बाद पहली बार लगा कि लोग जाति देख कर भी वोट करते हैं। क्या इधर भी जाति आधार पर वोटिंग पैटर्न है। वो कहते हैं – 100 परसेंट। पोरबंदर ही देख लीजिए। कई साल से मेहर समाज को दोनों पार्टियां टिकट देती है। यहां मेहर समाज की संख्या बहुत है। लोहाणा या रघुवंशी समाज है और ब्राह्मण भी हैं। इसलिए कांटे की टक्कर है। जो भी जीतेगा अंतर बहुत कम रहेगा। द्वारका, सोमनाथ या सौराष्ट्र में सभी जगह कांटे की टक्कर है।
जो बोल रहा वो भाजपाई पर न बोलने वाले ज्यादा
पोरबंदर से हम जूनागढ़ की तरफ चले तो रास्ता भटके और कोस्टल हाईवे ले लिया। जाना था कुतियाना की तरफ से लेकिन रात होने के कारण डायवर्ट हो गए। एक जगह चाय पीने उतरे तो पता चला ये केशोड विधानसभा क्षेत्र है। जूनागढ़ और अमरेली में पांच-पांच विधानसभा क्षेत्र हैं और दोनों ही जगह कांग्रेस ने 2017 में 4-1 से जीत हासिल की थी। लेकिन केसोड की सीट भाजपा के देवाभाई मालम के हिस्से गई। यहां दो लोग मिले देवायद भाई और नितिन भाई। दोनों आप कैंडिडेट रामजीभई चुडास्मा की सभा से लौटे थे। दोनों पिक अप वैन चलाते हैं जिन पर झाडू छाप दर्ज था। वो कहते हैं – हम गरीब किसान हैं। दूध ढोते हैं। केजरीवाल ने जो वादा किया है वो हमें अच्छा लगा और इस बार वोट उसी को करेंगे। जब कैमरा निकला तो वहां दुकान वाले के साथ कई लोगों ने कहा कि भाजपा ही आ रही है। हमने कहा यहां तो कोस्टल हाईवे के बाद सड़क खराब है तो महेश परमार ने कहा – थोड़ी दूर, आगे सब ठीक है। बदलाव की जरूरत नहीं है। देवायद और नितिन कैमरे पर आने को राजी नहीं हुए। हमने कारण पूछा तो कहते हैं – ये दुकान वाला भाजप कैंडिडेट का सगा मामा है। तो वहां तो सब वही बोलेंगे।
आगे मणावदर (Manavadar Seat) विधानसभा इलाके में हम गदोई टोल प्लाजा के पास खाना खाने रुके। यहां से जवाहर चावड़ा 2017 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे लेकिन अहमद पटेल के खिलाफ वोट कर पार्टी छोड़ी और भाजपा के टिकट पर 2019 उपचुनाव जीते। उन्हें भाजपा ने फिर से मौका दिया है। होटल में बैठे जीतेश भाई ने कहते हैं – चावड़ा जी का परिवार इतना कट्टर कांग्रेसी है कि नाम ही जवाहर रख दिया। और अब गए हैं भाजपा में। इस विधानसभा में 85 हजार पटेल यानी पाटीदार वोटर हैं। इसके अलावा कोली, सोलंकी, बावड़िया, अहीर की संख्या है। जीतेश भाई भी मानते हैं कि चुनाव में जाति मायने रखती है। आप ने कर्षणबापू भदारका को टिकट दिया है।
जूनागढ़ शहर में मुसलमान वोटरों की खासी तादाद है और ये भाजपा को वोट नहीं करेंगे, तय है। यहां रोचक ये है कि कांग्रेस के गढ़ में मुसलमान वोट अरविंद केजरीवाल काटते हुए नजर आ रहे हैं। जूनागढ़ मस्जिद के पास और फल मार्केट में लोगों से बातचीत का निचोड़ तो यही निकलता है। जब हम जूनागढ़ से अमरेली के लिए निकले तो घंटियाण गांव के चबूतरे पर कुछ बुजुर्ग मिले। यहां कपास की खेती बहुत होती है। आस-पास आप के झंडे लगे थे। और जगहों की तरह यहां भी कैमरे पर बोलने के लिए ये तैयार नहीं थे। ऑफ कैमरा कहते हैं कि भाजपा को बहुत देख लिया, अब केजरीवाल पर भरोसा करते हैं। हमने कहा कि मुद्दे ही बता दीजिए, पार्टी नहीं तब जाकर कैमरे पर बोलने को तैयार हुए। फिर कहने लगे न खाद टाइम पर मिलता है न दाम। सरकार से ज्यादा प्राइवेट कंपनियां देती हैं। इस गांव में स्कूल की हालत भी ठीक नहीं है और अस्पताल भी दूर।
आज हम भावनगर में हैं। अब तक की यात्रा से साफ है कि शहर से ज्यादा गांव की तरफ सत्ताविरोधी लहर ज्यादा है। कांग्रेस साइलेंट है और आप ने जबर्दस्त सेंधमारी की है। सौराष्ट्र की 48 सीटों पर बिहार की तरह जाति एक फैक्टर है, ये भी गांव से गुजरते हुए स्पष्ट हो जाता है।