Saphala Ekadashi 2022 Katha: सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर दिन सोमवार को है. इस दिन पूजा के समय सफला एकादशी व्रत कथा सुनते हैं. पढ़ें लुम्पक की कथा.
Saphala Ekadashi 2022 Katha: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सनातन धर्म में व्रत का बहुत महत्व है और साल भर में अनेकों व्रत-उपवास पड़ते हैं तथा सबका अलग-अलग नियम होता है. भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए भी सभी व्रतों में एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ बताया है. आइए पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं 19 दिसंबर को आने वाली सफला एकादशी के बारे में.
सफला एकादशी व्रत कथा
एक बार महिष्मान नामक एक राजा चम्पावती नगरी में रहता था, वैसे तो उसके चार पुत्र थे परंतु उसका ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक दुराचारी था. वह मद्रिपान, वैश्यागमन आदि पाप करता था, हमेशा ही ब्राह्मण, भगवान, संत, भक्त आदि का अपमान एवं उन्हें परेशान करता था. इन सब बातों का पता लगने पर राजा ने उसे अपनी संपत्ति एवं महल से बेदखल कर दिया, जिसके कारण उसने अपना पेट पालने के लिए चोरी करना शुरू कर दिया.
बढ़ते ही गए लुम्पक के दुष्कर्म
दिन भर वह सोता और रात्रि में उसी नगर में चोरी करता और साथ ही साथ प्रजा को भी परेशान करता परंतु राजा का पुत्र होने के कारण कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता और समस्त नगर उससे डरने लगा. इस सबके साथ-साथ उसने शिकार कर मांसाहार भी शुरू कर दिया.
बढ़ते ही गए लुम्पक के दुष्कर्म
दिन भर वह सोता और रात्रि में उसी नगर में चोरी करता और साथ ही साथ प्रजा को भी परेशान करता परंतु राजा का पुत्र होने के कारण कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता और समस्त नगर उससे डरने लगा. इस सबके साथ-साथ उसने शिकार कर मांसाहार भी शुरू कर दिया.
हुआ बुरा हाल
उसी वन में एक प्राचीन पीपल का वृक्ष था, जिसे लोग दैवीय वृक्ष मानकर उसकी पूजा किया करते थे, उसी वृक्ष के नीचे लुम्पक रहने लगा. कुछ दिनों बाद पौष कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन उस पर वस्त्र ना होने के कारण वो वस्त्रहीन था और ठंडी की वजह से सारी रात सो ना सका और उसका शरीर भी ठण्ड की वजह से अकड गया.
अंजाने में किया सफला एकादशी व्रत
अगले दिन एकादशी की दोपहर सूरज की गर्मी के कारण उसका शरीर कुछ ठीक हुआ एवं उसकी मूर्छा दूर हुई और वह भूखा होने के कारण कुछ खाना ढूंढ़ने चल दिया. कमज़ोर होने के कारण वह शिकार नहीं कर सकता था, अतः उसने पेड़ों के नीचे पड़े फल लेकर वापस पीपल के नीचे आ गया परंतु तब तक अधेरा हो चुका था तो वह उन फलों को रखकर बोला, “हे नाथ! यह फल आपको निवेदित, अब इन्हें खुद ही खाओ.” उस रात भी उसे नींद नहीं आई और उसने अपने द्वारा किये गए सभी पापों के बारे में सोचा, जिससे उसे ग्लानि हुई और उसने भगवान से माफ़ी मांगी.
श्रीहरि हुए प्रसन्न
उसके द्वारा अनजाने में किये गए निष्काम उपवास एवं पछतावे से श्रीहरि को प्रसन्नता हुई और उन्होंने उसके समस्त पापों को क्षण भर में ही नष्ट कर दिया और उसी समय अकाशवाणी भी हुई. “हे लुम्पक !तुम्हारे व्रत से खुश होकर श्रीहरि ने तेरे सारे पाप नष्ट कर दिए हैं, अब तुम अपने राजमहल जाओ और अपने पिता को आराम देकर राजा का पद सम्भालो.”
लुम्पक को मिली हर तरफ सफलता
यह सुनकर लुम्पक भगवान की जय बोलता हुआ वहां से अपने राज्य वापस चला गया. राजा बना और धर्माचरण करके राजपाट चलाने लगा. उसका विवाह एक योग्य कन्या से हुआ, अच्छी संतान प्राप्त हुई एवं अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
सफला एकादशी के उपाय
सफला एकादशी के दिन प्रातः कल उठकर स्नान आदि कार्य करके शुद्ध वस्त्र पहन कर, भगवान श्रीहरि का ध्यान करें. भगवान को ऋतुफल एवं नैवेद्य का भोग अर्पित करें. व्रत करें और रात्रि में भगवान का कीर्तन आदि कर नामजप करें. ऐसा करने से मनुष्य को हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है और अंत में मोक्ष का भोगी होता है.