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कर्जधारकों को झटका! बैंक बिना ग्राहक को बताए बढ़ा सकते हैं लोन की ब्‍याज दर, जानें क्‍या है कोर्ट का फैसला

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कंज्यूमर डिस्प्यूट सुलझाने के लिए गठित नेशनल कमीशन ने कहा है कि ब्याज बढ़ाने से पहले हर बार ग्राहकों को सूचित करना बैंकों के लिए अनिवार्य नहीं है. यह फैसला 2019 के एक फैसले को पलट कर दिया गया है.

नई दिल्ली. नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCRDC) ने अपने एक हालिया फैसले से कर्जधारकों को तगड़ा झटका दिया है. NCRDC ने ICICI बैंक और एक कर्जधारक के बीच हुए विवाद में फैसला देते हुए कहा है कि फ्लोटिंग रेट लोन में बैंक को अधिकार है कि वह कर्जदार को बिना बताए भी ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है. हर बार ब्याज बढ़ाने से पहले कर्जदार को सूचना देना जरूरी नहीं है. इस मामले में पहला फैसला 2019 में आया था. तब राज्य स्तर के कमीशन ने फैसला कर्जदार के पक्ष में दिया था. अब NCRDC ने इसे पलट दिया है.

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ये कहानी 2005 से शुरु होती है. शिकायतकर्ता विष्णु बंसल ने नवंबर 2005 में बैंक से 30,74,100 रुपये का लोन लिया था. ये लोन फ्लोटिंग रेट पर लिया गया था. फ्लोटिंग रेट लोन उसे कहते हैं जिसमें बेंचमार्क में हुए बदलावों के हिसाब से ब्याज दरों में भी बदलाव होता है. उदाहरण के लिए फिलहाल अधिकांश बैंक बॉन्ड यील्ड या रेपो रेट को बेंचमार्क मानकर चलते हैं. अगर रेपो रेट में बदलाव होता है तो उसी के अनुरूप कर्ज की ब्याज दर भी बदलती है. विष्णु बंसल को ये लोन 240 महीने में चुकाना था और उनकी ईएमआई 24,297 रुपये प्रति माह थी.

कहां बिगड़ा खेल?
बंसल ने अपनी शिकायत में कहा था कि शुरुआत में बैंक ने उनसे 7.25 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज लिया, लेकिन बाद में इसे 8.75 फीसदी कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उन्हें इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी गई. इसके बाद बैंक ने एक बार फिर ब्याज दर को बढ़ाकर 12.25 फीसदी कर दिया. साथ ही उनका लोन चुकता करने का टेन्योर 240 महीने से बढ़ाकर 331 महीने कर दिया गया. जब तक बंसल ने ICICI के साथ अपना लोन बंद करके किसी और बैंक में ट्रांसफर किया तब तक वह 1.62 लाख रुपये अतिरिक्त भुगतान कर चुके थे. बंसल पहली बार फरवरी 2010 में बैंकिंग ऑम्बुडस्मैन के पास अपनी शिकायत लेकर गए. यह आरबीआई द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होता है जो बैंकों की असंतोषजनक कार्यप्रणाली के संबंध में ग्राहकों के मसले सुनता व उन्हें सुलझाने का प्रयास करता है. हालांकि, यहां बंसल को कोई मदद नहीं मिली.

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शरुआती फैसला
इसके बाद बंसल जिला कमीशन के पास गए जहां यह कह कर इस केस को नहीं सुना गया कि यह उनके दायरे से बाहर का मामला है. बंसल ने फिर राज्य कमीशन का रुख किया. स्टेट कमीशन ने ये जरूर माना कि बैंक को ब्याज दर बढ़ाने का अधिकार है लेकिन साथ ही कहा कि इसका मतलब यह कतई नहीं कि बैंक बिना बताए इसमें इजाफा कर देगा. कमीशन ने बैंक से शिकायतककर्ता को 1.62 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया.

नेशनल कमीशन पहुंचा मामला
फैसले से असंतुष्ट ICICI बैंक ने इस बार नेशनल कमीशन के सामने गुहार लगाई जहां फैसला उसके पक्ष में आ गया. नेशनल कमीशन ने कहा कि बैंक को पूरा अधिकार है कि वह बिना बताए कर्ज का ब्याज बढ़ा सकता है. कमीशन ने आगे कहा कि बैंक ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन अपनी वेबसाइट पर लगाया है और ब्याज दर बढ़ाने के बाद कर्जदारों को भी रीसेट लेटर भी भेजा है. अंत में कमीशन ने कहा कि कोर्ट बस गुडविल के तौर पर ग्राहक को 1 लाख रुपये का भुगतान कर सकता है, क्योंकि यहां कोई अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस का मामला नहीं बनता है.

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