Brain eating amoeba: दक्षिण कोरिया में ब्रेन इटिंग अमीबा का पहला मामला सामने आ चुका है. इससे लोगों में दहशत है. ब्रेन इटिंग अमीबा बेहद संक्रमण के बाद दिमाग में बहुत खतरनाक हो जाता है.
Brain eating amoeba: एक तो कोरोना ने एक बार फिर से दुनिया के कई हिस्सों में कहर मचाना शुरू कर दिया है, वहीं अब एक दूसरी बीमारी के कारण दुनिया दहशत में है. दरअसल, दक्षिण कोरिया में ब्रेन टिंग अमीबा से हुई पहली मौत ने हड़कंप मचा दी है. यह बीमारी नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नाम के अमीबा से होती है जो सीधे दिमाग को खाने लगता है. इसलिए इसे मस्तिष्क को खाने वाला अमीबा कहते हैं. दिमाग को खाने वाले इस अमीबा से दक्षिण कोरिया में एक 50 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई है. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी एककोशीय अमीबा है जो मिट्टी और साफ गर्म पानी जैसे कि झील, नदी, झरना इत्यादि में रहता है.
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नाक के जरिए दिमाग में घुसता है
नेगलेरिया फाउलेरी मनुष्य की नाक के जरिए दिमाग में घुस जाता है. पहले भी इसके मामले आते रहे हैं लेकिन बहुत कम ही मामले आते रहे हैं. इस अमीबा से हुए संक्रमण का पहला मामला अमेरिका में 1937 में आया था. नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा नाक के जरिए दिमाग में पहुंचकर टिशूज को खाने लगता है. इसलिए इसका संक्रमण जानलेवा होता है. यह अमीबा तेजी से अपना स्वरूप बदल लेता है.
मनुष्य में कैसे आती है यह बीमारी
मनुष्य तब नेलगेरिया फाउलेरी अमीबा के संपर्क में आता है जब वह ऐसी जगहों पर नहाता है जहां इस अमीबा की मौजूदगी है. अगर यह अमीबा नाक में घुस गया, तभी ब्रेन ईटिंग अमीबा का संक्रमण होता है.
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संक्रमण के बाद लक्षण
हमारी सहयोगी वेबसाइट मनीकंट्रोलके मुताबिक जैसे ही नेलगेरिया फाउलेरी अमीबा इंसान के शरीर में घुसता है, इसके 1 से 12 दिनों के अंदर लक्षण दिखने शुरू होते हैं. ये लक्षण वैसे ही दिखते हैं जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन मिनीनजाइटिस में दिखते हैं. शुरुआत में सिरदर्द, बुखार और जी मिचलाने जैसी समस्या होती है. इसके बाद गर्दन अकड़ जाती है और पूरी तरह से कोमा में भी मरीज जा सकता है.
क्या यह संक्रामक बीमारी है
संक्रमित पानी को पीने से यह बीमारी नहीं होती है. सीडीसी के मुताबिक नेगलेरिया फाउलेरी अमीबा को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अभी तक जाते हुए नहीं देखा है. संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है या नहीं, इसका कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन वैज्ञानिक इसके जोखिम से इंकार भी नहीं कर रहे हैं.
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इलाज क्या है
डॉक्टर कई दवाइयों को एक साथ मिलाकर मरीज में देते हैं लेकिन दुर्लभ मामलों में बचने की संभावना बहुत कम होती है. इसलिए एक्सपर्ट का कहना है कि जहां यह बीमारी फैली है, वहां के सार्वजनिक पानी में तैरने या इसका इस्तेमाल करने से बचें.