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उत्तर प्रदेश

Health Survey: वन डिस्ट्रिक्ट-वन मेडिकल कॉलेज योजना का असर, यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं हुई ‘बेहतर’

UP Health Survey: प्रतापगढ़ और फिरोजाबाद जैसे छोटे जिले हर साल लगभग 5000 बड़ी सर्जरी कर रहे हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज योजना की सफलता को दर्शाता है.हरदोई में जहां पहले हर साल 5 हजार मरीजों की मेजर सर्जरी की जाती थी. वहीं, वर्तमान में 5 हजार से अधिक मरीजों की मेजर सर्जरी की जा रही है.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार की वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज योजना का प्रभावी असर दिखना शुरू हो गया है. चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए एक सर्वे में यह बातें सामने आई हैं।

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प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज की सुविधा शुरू हो गयी है, वहां पर स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार आया है. यह सर्वे दो चरणों में ओपीडी फुटफॉल, आईपीडी प्रवेश, सीजेरियन (एलएससीएस) और मेजर सर्जरी पर आधारित था, जिसमें मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से पहले और बाद की स्थितियों का आंकलन किया गया. सर्वे रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इन कॉलेजों के शुरू होने से राजधानी के केजीएमयू, एसपीजीआई समेत बड़े प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का भार कम हुआ है.

ओपीडी सेवाओं में हुआ सुधार तो मरीजों की संख्या में आया उछाल

बहराइच, देवरिया और हरदोई में ओपीडी सेवाओं को लेकर हुए सर्वे के अनुसार, यहां पर मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से पहले ओपीडी में मरीजों का फुटफॉल सालाना 5 लाख रहता था. वहीं, यहां पर मेडिकल कॉलेज की सुविधा शुरू होने से ओपीडी में रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो यह दर्शाता है कि यहां के स्थानीय मरीजों का राजधानी की रूख पहले से कम हुआ है. सर्वे के अनुसार देवरिया में जहां अपने ओपीडी में सालाना पांच लाख से कम मरीज दिखाने के लिए आते थे तो वहीं मेडिकल कॉलेज के शुरू होने से यहां पर ओपीडी सेवा का लाभ 5.30 लाख से अधिक मरीजों ने उठाया है.

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 आईपीडी की सेवाओं का लाभ पहले से अधिक उठा रहे मरीज

बहराइच और हरदोई में जहां मेडिकल कॉलेज की सेवा शुरू होने से पहले आईपीडी (अन्त: रोगी विभाग) सेवा का लाभ सालाना 75 हजार मरीज उठाते थे. वहीं, मेडिकल कॉलेज के शुरू होने के बाद एक लाख से अधिक मरीज इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. गाजीपुर, शाहजहांपुर, अयोध्या और देवरिया में जहां पहले इन मरीजों की संख्या सालाना 50 हजार से कम थी. वहीं, अब 50 हजार से अधिक इस सेवा का लाभ उठा रहे हैं. इसके साथ ही बस्ती, सिद्धार्थ नगर, इटावा और प्रतापगढ़ में भी काफी सुधार देखा गया है.

हरदोई, जौनपुर में सीजेरियन की सुविधा में हुआ सुधार

हरदोई, बहराइच और जौनपुर में जहां पहले हर साल करीब दो हजार गर्भवती महिलाएं हीं सीजेरियन का लाभ उठाती थी. वहीं, अब इनकी संख्या में काफी इजाफा हुआ हैं. बात करें अगर बस्ती की तो यहां का अस्पताल मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड होने के बाद हर साल करीब दो हजार से अधिक गर्भवती महिलाएं सीजेरियन का लाभ उठा रही हैं जबकि पहले इनकी संख्या काफी कम थी. इटावा, फिरोजाबाद, सिद्धार्थनगर, अयोध्या, फतेहपुर और गाजीपुर में पहले से काफी सुधार हुआ है.

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मेजर सर्जरी के लिए नहीं करना पड़ा रहा राजधानी का रूख

हरदोई में जहां पहले हर साल 5 हजार मरीजों की मेजर सर्जरी की जाती थी. वहीं, वर्तमान में 5 हजार से अधिक मरीजों की मेजर सर्जरी की जा रही है. इसके अलावा, देवरिया और जौनपुर में जहां पहले मेजर सर्जरी का आंकड़ा सालाना 5 हजार से नीचे था, वहीं वर्तमान में 5 हजार से अधिक रोगियों की बड़ी सर्जरी की जा रही है. दूसरी ओर प्रतापगढ़ और फिरोजाबाद जैसे छोटे जिले हर साल लगभग 5000 बड़ी सर्जरी कर रहे हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन डिस्ट्रिक्ट, वन मेडिकल कॉलेज योजना की सफलता को दर्शाता है.

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