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Cryptocurrency के लिए करो या मरो का टाइम, कितना भी चढ़े मगर, अपने हाई तक पहुंचना लगभग ‘नामुमकिन’

Cryptocurrency के लिए साल 2023 कुछ बन जाने या फिर खत्म हो जाने वाला साल साबित हो सकता है. जानकार मानते हैं कि बड़े इन्वेस्टर्स जो पहले 2021 तक इसमें निवेश के लिए उत्सुक से थे, अब पीछे हटते दिख रहे हैं. बिटकॉइन समते अन्य कई क्रिप्टोकरेंसीज अपने सर्वोच्च स्तर से बहुत नीचे आ गई हैं.

नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का खुमार जिस तेजी से ऊपर चढ़ा था उसी गति से नीचे भी उतरा है. जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के जो हालात सामने आए उसने निवेशकों को बैकफुट पर धकेल दिया है. हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल (HNI) द्वारा क्रिप्टो में निवेश करने की गति बहुत धीमी हो गई है. साल 2022 ने क्रिप्टो जगत की लगभग कमर ही तोड़ दी और चल रहा साल भी किसी अलग तरह से पेश आता नहीं दिख रहा है. 2020-21 में धमाकेदार तेजी देखने के बाद 2022 में क्रिप्टो मार्केट मुंह के बल पलट गया.

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मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, 10 नवंबर 2021 को क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर था. ये इसका अब तक का सर्वाधिक स्तर है. हालांकि, नवंबर के आखिरी सप्ताह में बाजी पूरी तरह पलट गई और क्रिप्टोकरेंसी का बाजार पूंजीकरण 727.58 बिलियन डॉलर पर आ गिरा. क्रिप्टो एसेट मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म कुंजी के संस्थापक अनुराग दीक्षित बताते हैं कि 2021 में संस्थागत निवेशक और HNI पर बड़े स्तर क्रिप्टो मार्केट में प्रवेश की कोशिश कर रहे थे लेकिन अब ये प्रक्रिया बहुत धीमी हो गई है. उन्होंने कहा कि इसका एक बहुत कारण पिछले 8 महीनों में सामने आए घटनाक्रम भी हैं. इसमें टेरा लूना (Luna), सेल्सियस, अलामेडा रिसर्च और FTX जैसी त्रासदियां शामिल हैं.

अर्श से फर्श
16 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार, बिटकॉइन (Bitcoin) 69,044.77 डॉलर के अपने ऑल टाइम हाई से लगभग 70 फीसदी टूट चुका है. 2022 के अंत तक यह स्थिति और खराब थी. उस समय तक बिटकॉइन अपने सर्वोच्च स्तर से 74 फीसदी तक टूटा हुआ था. वार्षिक आधार पर देखा जाए तो इसमें 64 फीसदी की गिरावट थी. 2011 के बाद के बाद से ये इसकी सबसे कम कीमत थी. यही हाल सोलाना, डॉजकाइन, शिबा इनू, व इथीरियम समेत अन्य सभी चर्चित क्रिप्टोकरेंसी का रहा. ये अपने सर्वोच्च स्तर से 91 फीसदी तक नीचे आ गई हैं.

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भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति
भारत ने पिछले बजट में क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने की बजाय इसके लेनदेन से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी का टैक्स लगा दिया था. इतना ही नहीं ट्रांजेक्शन में घाटा हो या मुनाफा 1 फीसदी टीडीएस (TDS) कटना तय है. निवेशक इससे और सक्ते में आ गए हैं. भारत में आप एक क्रिप्टो करेंसी से हुए घाटे को दूसरी क्रिप्टो करेंसी से होने वाले मुनाफे से बराबर करके टैक्स से नहीं बच सकते हैं. जबकि शेयर मार्केट में ऐसा किया जा सकता है. इसका मतलब है कि भारत ने क्रिप्टो को अवैध किए बिना ही इसे ऐसी स्थिति में डाल दिया जहां निवेशक निवेश से पहले 10 बार विचार करे.

आगे की राह
जानकार मान रहे हैं कि कम-से-कम इस साल का आधा हिस्सा तो क्रिप्टोकरेंसी के लिए अच्छा नहीं रहने वाला है. क्रिप्टो रिसर्च कंपनी CREBACO के सीईओ सिद्धार्थ सोगानी कहते हैं कि बिटकॉइन बहुत अच्छी स्थिति में भी केवल $21,000-23,000 तक ही पहुंचेगा. वहीं, अगर इसमें गिरावट चालू होती है तो ये $12,000-13,000 तक गिर जाएगा. विशेषज्ञ इस बात को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं कि 2023 क्रिप्टोकरेंसी के लिए करो या मरो वाला साल होने वाला है.

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