बता दें कि ज़ी बिज़नेस ने 22 दिसंबर को बताया था कि सेबी निवेशकों और मार्केट में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए ब्रोकर्स की जिम्मेदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है.
Sebi Broker Fraud: शेयर बाजार (Stock Market) के निवेशकों के लिए अच्छी खबर है. मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने निवेशकों के साथ फ्रॉड और गड़बड़ी पर कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. बता दें कि ज़ी बिज़नेस ने 22 दिसंबर को बताया था कि सेबी निवेशकों और मार्केट में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए ब्रोकर्स की जिम्मेदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है. सेबी ने इसी मामले पर अब सभी हितधारकों की राय के कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें ब्रोकिंग फर्म्स के मैनेजमेंट पर गड़बड़ियों को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने और इंटरनल कंट्रोल को मजबूत करने की जिम्मेदारी होगी. साथ ही ब्रोकिंग फर्म्स के बोर्ड और ऑडिट कमेटी की जिम्मेदारी होगी कि वो देखें कि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं. कंसल्टेशन पेपर की मुख्य बातें इस प्रकार हैं. 21 फरवरी तक सभी पक्षों की राय शामिल करने के बाद अंतिम पॉलिसी बनाने पर फैसला होगा.
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ब्रोकिंग फर्म्स के मैनेजमेंट की बढ़ेगी जवाबदेही
सेबी का प्रस्ताव है कि ब्रोकिंग फर्म्स के मैनेजमेंट की जवाबदेही बढ़े. गड़बड़ी रोकने के लिए MD सहित सीनियर मैनेजमेंट पर जिम्मेदारी होगी. ज़ी बिज़नेस ने 22 दिसंबर को बताया था सेबी पॉलिसी ला रही है. सर्विलांस, इंटर्नल कंट्रोल के पालन का जिम्मा मैनेजमेंट का होगी.
कंसल्टेशन पेपर पर 21 फरवरी तक मांगा सुझाव
ऑडिट कमेटी या ब्रोकर का बोर्ड देखे कि सब नियमों का पालन हो. सौदों पर निगरानी रखने के लिए पूरी लिखित प्रक्रिया बनानी होगी. ब्रोकर खुद के सौदों के लिए ही प्रोपरायटरी खाते का इस्तेमाल करेंगे. संदिग्ध सौदों पर अलर्ट करने के लिए बाकायदा रिपोर्टिंग सिस्टम हो. संदिग्ध सौदों को लेकर क्या कदम उठाए गए इसकी रिपोर्ट साझा हो.
ब्रोकर्स पर गड़बड़ियां रोकने के लिए व्हिसिलब्लोअर पॉलिसी की शर्त होगी. गड़बड़ियां कैसे पहचानी जाएं इसकी एक सांकेतिक सूची बनानी होगी. सेबी ने कंसल्टेशन पेपर पर 21 फरवरी तक सभी पक्षों से सुझाव मांगा.
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किन-किन गड़बड़ियों को रोकने की कोशिश
- इनसाइडर ट्रेडिंग
- मिस सेलिंग
- फ्रंट रनिंग
- फर्जी सौदे दिखाना
- शेयर कीमतों में गड़बड़ी करना
- अनअथराइज्ड ट्रेडिंग
- शेयरों की पंपिंग एंड डंपिंग
- सौदों की स्पूफिंग (बड़े सौदे लेकिन बहुत ऊंचे/नीचे भाव पर)
- हैसियत से ज्यादा के सौदे (म्यूल अकाउंट)
- बार बार क्लाइंट का ब्यौरा बदलना