नोएडा के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर ने आरबीआई से सवाल पूछे थे कि वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से नवंबर 2022 तक साल में ओमबड्समैन योजना के तहत आर्थिक अपराध के कितनी शिकायत दर्ज कराई गई हैं और उनमें से कितनो का निस्तारण हुआ है. जानकारी के अनुसार शिकायत लगातार बढ़ते रही हैं, लेकिन उसका निस्तारण बहुत धीमा रहा है.
नोएडा: आपके पहचान के किसी व्यक्ति के बैंक अकाउंट से पैसे कटे होंगे तो आपने आरबीआई में शिकायत की होगी, हो सकता है वो शिकायत आपकी पेंडिंग ही रह जाए. देश में आर्थिक अपराध जिस हिसाब से बढ़ रहे हैं उसका निस्तारण उतने ही धीमी गति से हो रहा है. आरटीआई के माध्यम से पूछे गए सवाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इसकी जानकारी दी है.
ये भी पढ़ें– Weather Update: आज से फिर लौटेगा सर्दी का सितम, दिल्ली-यूपी सहित इन राज्यों के लिए चेतावनी
नोएडा के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर ने आरबीआई से सवाल पूछे थे कि वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से नवंबर 2022 तक साल में ओमबड्समैन योजना के तहत आर्थिक अपराध के कितनी शिकायत दर्ज कराई गई हैं और उनमें से कितनो का निस्तारण हुआ है. जानकारी के अनुसार शिकायत लगातार बढ़ते रही हैं, लेकिन उसका निस्तारण बहुत धीमा रहा है.
दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर ने आरबीआई से पूछा था कि, साल 2021 से लेकर साल 2022 के नवंबर तक कितनी शिकायत दर्ज कराई गई हैं. यह आरटीआई दिसंबर 2022 में लगाया गया था, जिसके जवाब में आरबीआई ने कहा है कि वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से लेकर मार्च 2022 तक 1,83,887 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं, जिसमें से 6,9,245 शिकायतों (लगभग 38 प्रतिशत) का ही निस्तारण हो पाया है.
ये भी पढ़ें– PM Kisan: करोड़ों किसानों को होली से पहले मिला तोहफा, सरकार ने दी ऐसी जानकारी, सुनकर खुशी से झूमे किसान!
क्या होता है ओमबड्समैन योजना?
ओमबड्समैन योजना भारतीय बैंको के ग्राहकों के शिकायत को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने इस योजना को लागू किया था. जिसमें बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति की जाती है. आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर बताते हैं कि यह आम जनता को दी गई एक शक्ति थी. जिसे बैंकिंग में सुधार के रूप में जाना जाता है. इसमें कोई भी व्यक्ति खुद के साथ हुए बैंकिंग फ्रॉड की शिकायत कर सकता है. शिकायत ऑनलाइन आरबीआई की वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं. इसमें शिकायत करने के बाद तीस दिन में भीतर मुफ्त निस्तारण करने का प्रावधान हैं. आरटीआई के जवाब से साफ पता चलता है कि शिकायतों के निस्तारण ठीक से नहीं हो पाया.