मुनमुन ने घर से बाहर आने के बाद पुलिस को बताया कि उसे इस बात का डर था कि अगर वह घर से बाहर निकली, तो उसका 10 साल का बेटे कोरोना महामारी का शिकार होकर मर जाएगा.
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गुरुग्राम : हरियाणा के गुरुग्राम की 33 वर्षीय मुनमुन मांझी ने खुद और अपने बेटे को तीन साल तक घर में बंद रखा. पुलिस ने जब इन मां-बेटे को घर से बाहर निकाला, तब मुनमुन ने घर में बंद रहने की जो वजह बताई, उसे जानकर सभी हैरान रह गए. पुलिस अधिकारी ने मुनमुन मांझी और उनके बेटे को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल भेज दिया.
पुलिस ने बुधवार को मुनमुन मांझी और उनके 10 साल के बेटे को घर से बाहर निकाला. मुनमुन ने घर से बाहर आने के बाद पुलिस को बताया कि उसे इस बात का डर था कि अगर वह घर से बाहर निकली, तो उसका 10 साल का बेटे कोरोना महामारी का शिकार होकर मर जाएगा. कोरोना महामारी ने मुनमुन के दिलों-दिमाग पर इतना गहरा प्रभाव डाला, जिसकी वजह से उसने ये कदम उठाया. हालांकि, मुनमुन अकेली ऐसी नहीं हैं, जो कोरोना महामारी खौफजदा हैं. आज भी कई लोगों के मन में कोरोना संक्रमण को लेकर डर है.
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कोरोना वायरस के डर का विचित्र उदाहरण
कोविड के डर का विचित्र उदाहरण एक सप्ताह पहले तब सामने आया, जब मुनमुन के पति सुजान मांझी ने पुलिस से संपर्क किया. एक निजी कंपनी में इंजीनियर मांझी ने पुलिस को बताया कि उनकी पत्नी ने खुद को और अपने बेटे को तीन साल से घर में बंद कर रखा है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन प्रतिबंध समाप्त होने के बाद वह काम करने के लिए बाहर निकले थे, लेकिन पत्नी ने उन्हें वापस अंदर नहीं आने दिया. तब से, मांझी मकरन के किराए के साथ अन्य बिलों का भुगतान कर रहे थे. किराने का सामान खरीद कर मुख्य दरवाजे के बाहर छोड़ रहे थे. वह शुरू में दोस्तों और रिश्तेदारों के घरों में रुके, इस उम्मीद में कि यह पूरा प्रकरण जल्द ही खत्म हो जाएगा. हालांकि, जब उनकी पत्नी नहीं मानी, तो उन्होंने दूसरा मकान किराए पर ले लिया.
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पुलिस को भी पहले नहीं हुआ यकीन, लेकिन फिर…!
ये मामला इतना चौंकानेवाला था कि पुलिस को शुरू में इस पर यकीन ही नहीं हुआ. जब उन्होंने मुनमुन मांझी को फोन किया, तो उन्होंने कहा कि वह और उनका बेटा “बिल्कुल फिट” हैं. अधिकारी ने कहा, “फिर हमने एक वीडियो कॉल किया और जब मैंने बच्चे को देखा तो मैं भावुक हो गया. उसके बाल उसके कंधों तक बढ़ गए थे.”
7 साल का लड़का अब 10 का हो गया…
बच्चा, जो सात साल का था जब महामारी शुरू हुई थी, अब लगभग 10 साल का है. तीन साल से उसने अपनी मां के अलावा किसी को नहीं देखा था. इन तीन सालों के दौरान उसने घर की दीवारों पर चित्र बनाए और लिखा. पुलिस अधिकारी ने कहा, “उसकी मां कोविड को लेकर दहशत में थी. उसका बाहर निकलने का कोई इरादा नहीं था. वह कहती रही- मैं अपने बेटे को बाहर नहीं निकलने दूंगी, क्योंकि वह तुरंत मर जाएगा. मैं उससे बात करता रहा, उससे पूछता रहा कि क्या उसे कोई मदद चाहिए. मुझे लगता है कि उसने मुझ पर भरोसा करना शुरू कर दिया था. इसलिए जब मैंने उसे आज पुलिस स्टेशन बुलाया, तो वह आई, लेकिन बच्चा उसके साथ नहीं था. आखिरकार हम उसे समझाने में कामयाब रहे.”
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3 साल से बंद कमरे का ऐसा था हाल
अधिकारी ने मीडियाकर्मियों से कहा, “महिला को अस्पताल ले जाया गया और फिर हम बच्चे को बचाने के लिए फ्लैट में गए. जब पुलिस और बाल कल्याण टीमों ने फ्लैट में प्रवेश किया, तो वे हैरान रह गए. तीन साल से, कचरा बाहर नहीं फेंका गया था, और अपार्टमेंट गंदगी का समुद्र था. फर्श पर कपड़ों के ढेर, बाल, किराने के सामान के खाली पैकेट पड़े थे और सभी उपकरणों पर गंदगी की मोटी परत जमी हुई थी. गंदे बेडरूम में से एक में, 10 साल का लड़का बैठा था जिसके बाल बेहद बढ़े हुए थे.
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…कुछ दिन और बीतते तो हो सकती थी अनहोनी
सहायक उप-निरीक्षक प्रवीण कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, “अंदर इतना कचरा था कि अगर कुछ दिन और बीत जाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.” गुड़गांव के सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र यादव ने कहा, “महिला को मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं. मां-बेटा दोनों को पीजीआई, रोहतक रेफर किया गया है. उन्हें इलाज के लिए मनोरोग वार्ड में भर्ती कराया गया है.” मांझी, अपने परिवार को वापस पाकर बहुत खुश हुए, उन्होंने पुलिस को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया. समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा, “अब उनका इलाज किया जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि मेरी जिंदगी जल्द ही पटरी पर आ जाएगी.”