What to do when Employer EPF Contribution is Delayed बहुत बार ऐसी स्थिति आ सकती है जब आपकी कंपनी आपके PF में योगदान न करें। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। EPFO के मुताबिक इसमें आपको ब्याज के साथ पैसा मिल सकता है।
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आप एक कर्मचारी है तो हर महीने आपके वेतन से कटने वाले प्रोविडेंट फंड के बारे में तो आप जानते ही होंगे। यह एक तरह से आपके रिटायरमेंट के लिए बचत की तरह काम करते हैं। इसमें कुछ हिस्सा कर्मचारी का होता है, जबकि कुछ हिस्सा नियोक्ता द्वारा योगदान किया जाता है। पर क्या हो जब नियोक्ता द्वारा इसमें योगदान न किया जाए।
EPFO द्वारा इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिसमें अगर नियोक्ता PF के पैसे जमा नहीं करता तो इसका फायदा कर्मचारी को ही होने वाला है। तो चलिए जानते हैं कि इसका लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
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क्या हैं EPF के नियम?
कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952, धारा 7Q के अनुसार, अगर नियोक्ता देय राशि का भुगतान समय पर नहीं करता है तो उच्च ब्याज दर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। साथ ही धारा 14बी के तहत नियोक्ता द्वारा ईपीएफओ के देर से भुगतान को अपराध माना जाएगा। नियोक्ता से भुगतान न करने के कारण हुए नुकसान की वसूली भी सरकार कर सकती है।
इस तरह लें इन्टरेस्ट के साथ पैसा
कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) के तहत नियोक्ता द्वारा देरी के लिए लगाए गए नुकसान की दरें तय की गई हैं। इसमें बकाया राशि के 100 फीसदी तक हर्जाना वसूला जा सकता है और देय राशि पर 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर लागू होता है। इसलिए नियोक्ताओं द्वारा भुगतान में देरी पाए जाने पर कर्मचारी ईपीएफओ में नियोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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भुगतान में हुई देरी | ब्याज दर |
2 महीने से कम समय | 5% वार्षिक |
2 से 4 महीने | 10% वार्षिक |
4 से 6 महीने | 15% वार्षिक |
6 महीने से अधिक समय तक | 25% वार्षिक |
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क्या हैं योगदान के नियम
जानकारी के लिए बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि के नियम के मुताबिक, नियोक्ता 12 प्रतिशत के बराबर राशि का योगदान कर्मचारी के ईपीएफ खाते में करता है। कर्मचारी ईपीएफओ पोर्टल पर लॉग इन करके इसके बारे में चेक किया जा सकता है।