Ayodhya News: ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि फागुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं. इस दिन रंगभरी एकादशी भी है, इसी दिन आंवले के वृक्ष की पूजा होती है. धन समृद्ध की वृद्धि के लिए यह एकादशी ब्रह्मास्त्र है.
अयोध्या: वैसे साल के हर महीने में एकादशी आती है. लेकिन फागुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सनातन धर्म के लोगोंको बेसब्री से इंतजार रहता है. इस दिन को आमलकी एकादशी या फिर रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल फागुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 3 मार्च को आमलकी एकादशी का महापर्व पड़ रहा है. इसी दिन रंगभरी एकादशी भी मनाई जाती है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है.
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धन समृद्धि के लिए आमलकी एकादशी किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है. इस दिन विधि-विधान पूर्वक आंवले की वृक्ष की पूजा आराधना करने से धन घर में धन की बरकत होती है. परिवार खुशहाल रहता है तो चलिए जानते हैं क्या कहते हैं ज्योतिष. ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि फागुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं. इस दिन रंगभरी एकादशी भी है, इसी दिन आंवले के वृक्ष की पूजा होती है. धन समृद्ध की वृद्धि के लिए यह एकादशी ब्रह्मास्त्र है.
ऐसा करने से दूर होगी आर्थिक तंगी
सनातन धर्म के लोगों को चाहिए इस दिन प्रात काल उठकर स्नान ध्यान करके आंवले के वृक्ष की पूजा करें. आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करें. तिलक लगाएं धूप और दीप जलाएं इसके साथ शिव मंदिर में जाकर तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें अक्षर डालें. भगवान शिव के शिवलिंग पर अर्पित करें. भगवान शिव को भस्म और पीले चंदन का तिलक लगाएं और भगवान शंकर को आंवला समर्पित करते हुए धन-संपत्ति की प्रार्थना करें. इसी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना भी की जाती है.
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विधि- विधान पूजा आराधना करने से भगवान शंकर समेत विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है. इसी दिन से मठ मंदिरों में होली का महापर्व प्रारंभ हो जाता है. भक्त और भगवान एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं.
नोट: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है .