Maharashtra Name Change: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने ट्विटर पोस्ट में इसकी जानकारी दी.
Maharashtra Name Change: केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर (Aurangabad City New Name) का नाम बदलकर ‘छत्रपति संभाजीनगर’ और उस्मानाबाद शहर (Osmanabad City New Name) का नाम ‘धाराशिव’ करने को स्वीकृति दे दी है. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने ट्विटर पोस्ट में इसकी जानकारी दी. औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब पर, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था. छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे छत्रपति संभाजी उनके पिता द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे.
अंबादास जी,
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) February 24, 2023
आधी पूर्ण प्रक्रिया समजून घ्या. केंद्र सरकारची मंजुरीची प्रक्रिया पूर्ण झाली की, आधी सामान्य प्रशासन विभाग अधिसूचना काढते, तेव्हा शहरांची नावे बदलतात. ही अधिसूचना जारी झाली आहे, त्यानुसार औरंगाबादचे ‘छत्रपती संभाजीनगर’ आणि उस्मानाबादचे ‘धाराशिव’ असे नामकरण झाले आहे. https://t.co/DyWaqjXlvO
ये भी पढ़ें– इन 5 बैंकों में जमा अपना पैसा नहीं निकाल पाएंगे ग्राहक, आरबीआई ने लगाई रोक, आपका बैंक तो नहीं इनमें शामिल
संभाजी महाराज को 1689 में औरंगजेब के आदेश पर फांसी दे दी गयी थी. वहीं, कुछ विद्वानों के अनुसार उस्मानाबाद के समीप एक गुफा धाराशिव आठवीं सदी की है. हिंदू दक्षिणपंथी संगठन इन दो शहरों के नाम बदलने की मांग लंबे समय से कर रहे थे. फडणवीस ने गृह मंत्रालय द्वारा राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव को 24 फरवरी को लिखे दो पत्र ट्वीट किए.
पत्रों में कहा गया है कि केंद्र को मध्य महाराष्ट्र के इन दो शहरों के नाम बदलने पर कोई आपत्ति नहीं है. फडणवीस ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने ‘वह कर दिखाया, जिसका वादा किया था.’
ये भी पढ़ें– Bank FD या Post office की बचत योजना, किसमें होगा अधिक मुनाफा; जानिए ब्याज दर से टैक्स छूट तक की डिटेल
बता दें कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने का फैसला शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल का आखिरी निर्णय था. एकनाथ शिंदे नीत नयी सरकसार ने मंत्रिमंडल के उस फैसले को रद्द कर दिया था और इस बारे में नए सिरे से फैसला किया था.