साल 2009 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 131 लोकसभा सीटों में से 53 पर जीत हासिल की थी. यह संख्या 2014 में 12 और 2019 में 10 तक गिर गई.
नई दिल्ली. ओबीसी, एससी-एसटी समुदाय में अपने वोटों की संख्या घटता देख कांग्रेस एक नई योजना पर काम कर रही है ताकि उसके खोए हुए जनाधार वापस लौट आए. इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने रायपुर में हुए महाधिवेशन में पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. इसके तहत अलग-अलग सेक्टरों में आरक्षण देने की बात कही गई है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर से न्यायालय तक शामिल है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 131 लोकसभा सीटों में से 53 पर जीत हासिल की थी. यह संख्या 2014 में 12 और 2019 में 10 तक गिर गई.
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भाजपा द्वारा हिंदुत्व को बढ़ावा देने के चलते कांग्रेस के सामाजिक अंकगणित कमजोर हो गए और उसके वोट आधार को खत्म कर दिया. कांग्रेस अब एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों तक पहुंचने के लिए एक नई योजना पर काम कर रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस कोशिश कर रही है. इनमें 262 एससी/एसटी-आरक्षित सीटें हैं. इसके चलते कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर पिछड़ों को साधने की कोशिश की है.
साथ ही अल्पसंख्यक भी इन चुनावों के नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसके कई पहलू हैं, पार्टी के नेतृत्व के पदों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मौका दिया जाएगा. इसके अलावा 10 राज्यों में फैले 56 आरक्षित लोकसभा क्षेत्रों को भी टारगेट करने की कोशिश है.
जातिगत जनगणना कराने को लेकर बहस छिड़ी हुई है, मोदी सरकार ओबीसी वोट बैंक वाले क्षेत्रीय दलों की मांग का विरोध कर रही है. वहीं कांग्रेस ने दशकीय जनगणना के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना का भी प्रस्ताव रखा है. पार्टी ने पहले जातिगत जनगणना का समर्थन किया था. कांग्रेस ने पूर्ण अधिवेशन में कहा कि अगर वह सत्ता में वापस आती है, तो वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के शिक्षा के अधिकार और सम्मान की रक्षा और सुरक्षा के लिए रोहित वेमुला के नाम पर एक विशेष अधिनियम बनाएगी.
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रायपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पूर्ण सत्र में पार्टी ने सभी समितियों में ब्लॉक स्तर से लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए 50 प्रतिशत पदों को आरक्षित करने का निर्णय लिया. कांग्रेस के राष्ट्रीय समन्वयक के राजू ने कहा, “पार्टी के इस फैसले से एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मौका मिलेगा, उनकी आवाज हर स्तर पर सुनी जाएगी. साथ ही एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आदिवासी विभागों के लिए, कांग्रेस पार्टी की राजनीति की गतिशीलता बदल जाएगी.
इसके अलावा महाधिवेशन में यह भी तय किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी-ओबीसी के लिए आरक्षण पर पार्टी विचार करेगी. साथ ही पार्टी ने ईडब्ल्यूएस कोटा में ओबीसी-एससी-एसटी को भी शामिल करने पर विचार किया. हालांकि इस मुद्दे को लेकर कई पार्टियों ने तर्क दिया है कि EWS कोटा केवल सर्वण समाज तक सीमित नहीं रहना चाहिए.