Tax on Rental Income: अगर आप अच्छी टैक्स प्लानिंग नहीं करते हैं, तो हो सकता है कि किराये से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स भरने में ही चला जाए. लेकिन लोग हाउस प्रॉपर्टी या लैंड में निवेश करें, और उन्हें टैक्स से थोड़ी राहत मिले, इसके लिए सरकार उन्हें कुछ छूट भी देती है.
Tax on Rental Income: अगर आप किराये के मकान से इनकम कमाते हैं, तो आपको इस रेंटल इनकम पर टैक्स भरना होता है. Tax on Rental Income इसी कॉन्सेप्ट पर काम करता है कि आपकी किसी भी कमाई पर आपको एक टैक्स भरना होता है, ये दूसरी बात है कि वो कमाई टैक्सेशन के दायरे में आती है या नहीं. लेकिन हां, रेंटल इनकम यानी किराये पर दिए गए मकान, प्रॉपर्टी या जमीन से हुई कमाई टैक्सेबल इनकम के दायरे में आती है, जिसका Income Tax Act, 1961 के Section 24 के ‘Income from House Property’ में प्रावधान है.
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रेंटल इनकम पर बचा सकते हैं टैक्स (Save tax on Rental Income)
अगर आप अच्छी टैक्स प्लानिंग नहीं करते हैं, तो हो सकता है कि किराये से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स भरने में ही चला जाए. लेकिन अच्छी बात है कि लोग हाउस प्रॉपर्टी या लैंड में निवेश करें, और उन्हें टैक्स से थोड़ी राहत मिले, इसके लिए सरकार उन्हें कुछ छूट भी देती है. अगर आप भी किराये से इनकम कमाते हैं तो हम आपको यहां बता रहे हैं कि नियमों के दायरे में रहकर आप कैसे टैक्स बचा सकते हैं. आपको सेक्शन 24 के तहत कई टैक्स इंसेंटिव मिलते हैं.
कैसे होता है रेंटल इनकम पर टैक्स का कैलकुलेशन (Tax Calculation on Rental Income)
आपको बता दें कि किराए से होने वाली कमाई पर टैक्स (Tax on Rental Income) का कैलकुलेशन ग्रॉस एनुअल वैल्यू (GAV) पर म्यूनिसिपल टैक्स, स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन के ब्याज, अगर कोई हो, को घटाने के बाद किया जाता है. आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि आपकी रेंटल इनकम वही गिनी जाएगी, जो किरायेदार से आपको मिल चुकी हो. मान लीजिए किसी कारणों से किरायेदार ने कुछ महीनों का किराया नहीं चुकाया है, या फिर किसी कारणों से उसने कमरा खाली कर दिया है, तो उस अवधि में टैक्स नहीं भरना होगा, क्योंकि आपको कोई किराया मिला ही नहीं है. अगर आपकी किराये से टैक्सेबल इनकम ढाई लाख (New Tax Regime में 3 लाख) से कम है तो आपको टैक्स नहीं भरना है.
रेंट के अमाउंट पर क्लेम कर सकते हैं स्टैंडर्ड डिडक्शन
आप मकान के किराये पर स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा उठाकर अपनी टैक्सेबल इनकम घटा सकते हैं. नेट इनकम निकालने के लिए आप नेट असेट वैल्यू पर 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन लगा सकते हैं.
होम लोन के ऊपर टैक्स छूट
आपको होम लोन पर 2 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है. अगर आपने होम लोन लेकर कोई घर खरीदा है और फिर उसे किराये पर चढ़ा दिया है तो आपको सेक्शन 24 (b) के तहत उसपर भरे गए इंटरेस्ट पर 2 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है. अगर आप सेक्शन 80EEA के तहत भी आते हैं तो आप अलग से 1.5 लाख का टैक्स बेनेफिट पा सकते हैं.
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जॉइंट प्रॉपर्टी भी पहुंचाएगी फायदा
अगर कोई प्रॉपर्टी किसी और के साथ मिलकर खरीदी गई है, तो इससे भी आपकी टैक्स लायबिलिटी घटती है. को-ओनरशिप में दोनों ही ओनर अपने ओनरशिप रेशियो के हिसाब से Sections 24 and 80EEA के तहत टैक्स बेनेफिट क्लेम कर सकते हैं. हां, लेकिन दोनों को-ओनर्स का कुल डिडक्शन उस फाइनेंशियल ईयर में होम लोन पर भरे गए इंटरेस्ट से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
म्युनिसिपल टैक्स डिडक्शन
आपके पास किराए से होने वाली कमाई पर टैक्स से म्युनिसिपल टैक्स जैसे सीवेज टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स घटाकर भी टैक्स लायबिलिटी घटाने का ऑप्शन होता है, बशर्ते नगर निगम के सभी तरह के टैक्स का भुगतान आप खुद कर रहे हों, न कि आपका किरायेदार.
मेंटेनेंस चार्ज का चक्कर
अगर आप अपने किराये में ही मेंटेनेंस चार्ज जोड़कर लेते हैं, तो ये भी आपकी इनकम में गिना जाता है, ऐसे में आप किरायेदार के एग्रीमेंट ये प्रावधान कर सकते हैं कि वो ये चार्ज सीधा रेजिडेंशियल असोसिएशन को दे, जिससे आपकी इनकम कम गिनी जाएगी और आपको ज्यादा टैक्स नहीं भरना होगा.