Kanya Pujan: चैत्र नवरात्रि समापन की ओर है. कई लोग नवरात्रि व्रत का समापन अष्टमी तिथि और कुछ लोग नवमी तिथि के दिन करते हैं. ऐसे में कन्या पूजन के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
Kanya Puja Niyam In Hindi: हिंदू धर्म में नवरात्रि का समापन अष्टमी और नवमी तिथि के दिन होता है. व्रत का पारण कन्या पूजन से होता है. इस दिन कन्याओं को घर बुलाकर उनका पूजन किया जाता है और भोजन करवाया जाता है. मान्यता है कि कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि की पूजा पूर्ण मानी जाती है. इस दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को कन्या के रूप में घर बुलाया जाता है. भक्तों से प्रसन्न होकर मां दुर्गा आर्शीवाद देती हैं.
ये भी पढ़ें– Repo Rate: अप्रैल में थम सकती है रेपो दर में वृद्धि, 2018 के बाद चार साल के उच्च स्तर पर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या पूजन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. ताकि नवरात्रि के व्रत का संपूर्ण लाभ मिल सके और मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है. आइए जानें नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
कन्या पूजन के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या पूजन के समय इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 2 साल से 10 साल तक ही होनी चाहिए. कन्याएं संख्या में 9 होनी चाहिए. 9 कन्याओं के साथ एक लड़का भी होना चाहिए. इसे बटुक भैरव का रूप माना जाता है.
ये भी पढ़ें– LIC की ये पॉलिसी बना देगी करोड़पति, सिर्फ 1597 रुपये का निवेश, 93 लाख का रिटर्न, 3 दिन बाद हो जाएगी बंद
– कन्याओं की उम्र का अलग-अलग महत्व होता है. अगर दो साल की कन्या को कुमारी, तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति, चार साल की कन्या को कल्याणी, पांच साल की कन्या रोहिणी, 6 साल की कन्या माता कालिका, सात साल की कन्या चंडिका, 8 साल की कन्या शांभवी, 9 साल की कन्या देवी दुर्गा और 10 साल की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है. कहते हैं कि कन्या पूजन के समय हर कन्या अव्यक्त ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. और सभी 9 कन्याओं के होने ये सक्रिय हो जाती हैं और मां दुर्गा का घर में आगमन होता है.
– कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को हलवा, चना के साथ पूड़ी, खीर, सब्जी आदि चीजें परोसें. इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं और लंगूरा को जबरदस्ती भोजन कराएं. वे अपने मन से जितना खाएं उतना ही खाने दें. इसके बाद कन्याओं को सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा और उपहार दें. लाल रंग की चुनरी ओढाएं और पैर छूकर आशीर्वाद लें.