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चाणक्य नीति: बुरे वक्त में इस पक्षी की तरह होश से लेना चाहिए काम, जरूर मिलेगी सफलता

Chanakya

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कई ऐसी बातों का जिक्र किया है जो कि व्यक्ति को सफलता दिलाने में मददगार साबित होती हैं. चाणक्य के विचार आपके जीवन में बदलाव ला सकते हैं.

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Chanakya Niti: अगर आप खुशहाल जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के विचारों को अपने जीवन में जरूर लागू करें. आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कई ऐसे विचारों और नीतियों का जिक्र किया है जो कि जीवन में बदलाव लाने के साथ ही सफलता ही राह तक ले जाते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और ऐसे में संयम से काम लेना बेहद जरूरी है. क्योंकि बिना सोचे-समझे किए गए फैसले और कार्य में व्यक्ति को नुकसान ही झेलना पड़ता है. आचार्य चाणक्य का कहना है कि बुरे समय में व्यक्ति के एक खास पक्षी की तरह होश से काम लेना चाहिए. आइए जानते हैं यहां आचार्य चाणक्य ने किस पक्षी के बारे में बात की है.

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चाणक्य ने इस पक्षी से की है मनुष्य की तुलना

आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र चाणक्य नीति में कहा है कि जब व्यक्ति के जीवन में कोई बुरा समय आता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए. बल्कि समझदार व्यक्ति को हमेशा सारस की तरह होश में रहकर काम करना चाहिए. सारस एक ऐसा पक्षी है जो कि मुश्किल वक्त में अपने होश नहीं खोता और समझदारी से मुश्किल को पार करने का रास्ता निकाल लेता है. सारस की समझदारी से जुड़ा एक किस्सा काफी लोकप्रिय है जिसके बारे में आचार्य चाणक्य ने जिक्र किया है.

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सारस की कहानी

लोकप्रिय कहानी है कि एक बार लोमड़ी ने सारस को दावत पर बुलाया. जब सारस दावत में गया तो एक प्लेट में सूप परोसा. लोमड़ी ने तो तुरंत अपना सूप पी लिया लेकिन लंबी चोंच की वजह से सारस प्लेट में सूप पीने में असमर्थ था और भूखा ही रह गया. सारस को इसकी वजह से बेइज्जती महसूस हुई लेकिन उसने उस वक्त लोमड़ी को कुछ नहीं कहा और चला गया. इसके बाद सारस ने एक दिन लोमड़ी को अपने यहां दावत पर बुलाया और लंबी गर्दन वाले बर्तन में सूप परोसा. ऐसे में लोमड़ी सूप नहीं पी पाई और सारस तुरंट सूप चट कर गया.

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कहते हैं कि जिस प्रकार सारस ने वक्त और मौके को देखकर अपने गुस्से पर कंट्रोल किया और समय आने पर लोमड़ी से बदला ले लिया. उसी प्रकार व्यक्ति को बुरे वक्त में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए बल्कि शांति से सोच-समझकर परिस्थिति से बाहर निकलने का हल सोचना चाहिए. जो व्यक्ति बुरे वक्त में संयम रखता है उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. Officenewz इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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