हर साल लाखों लोग हज करने के लिए मक्का और मदीना जाते हैं. भारत सरकार पहले हज जाने वाले अपने देशवासियों के लिए हर साल स्पेशल नोट जारी करती थी, जो अब बंद हो चुके हैं. ये दो तरह के नोट होते थे, जो हज यात्रियों को उड़ान से पहले दिए जाते थे.
ये हज रुपये दो तरह के होते थे. नीले रंग का 10 रुपये का नोट और 100 रुपये का लाल रंग का नोट. इनका रंग और आकार इस तरह का होता था कि ये अलग ही पहचान में आ जाए. मक्का जाने वाले लोग इन्हें आसानी से रियाल में बदलकर इनका इस्तेमाल कर लेते थे.
इसे पहली बार 1959 में जारी किया गया था. फिर ये “हज नोट” 70 के दशक के मध्य तक हज यात्रियों की सुविधा के लिए जारी रहे. इसके बाद इसे बंद कर दिया गया. ये नोट दिल्ली और मुंबई से हज जा रहे यात्रियों को जहाज में चढ़ने से पहले हज कमेटी अधिकारियों द्वारा दिए जाते थे.
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इन नोटों पर हज लिखा होता था
इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट का कहना है भारतीय सरकार सऊदी अरब जाने वाले हज यात्रियों के लिए इसे जारी करती थी. ये 10 और 100 रुपये मूल्य में होते थे. इस नोटों की खास बात ये होती थी कि उनमें हिंदी और अंग्रेजी में हज लिखा होता था.
नोटों की नंबर सीरीज HA से शुरू होती थी
इन नोटों की नंबर सीरीज के आगे एचए ‘HA’ लिखा होता था. लेकिन जब खाड़ी के देशों में इसे लेना बंद कर दिया गया तो हज यात्रियों के लिए इन नोटों की व्यवस्था खत्म कर दी गई.
41 लाख रुपये में बिका ये नोट
ये नोट जिन लोगों ने बचाकर रखे, उन्होंने जब इसे करेंसी संग्रहकर्ताओं को बेचा तो उसकी मोटी कीमत मिली. मिंटेज वर्ल्ड डॉट कॉम के अनुसार रिजर्व बैंक द्वारा 1959 में जारी हुआ ऐसा ही नोट 25 अप्रैल 1917 में स्पिंक्स की नीलामी में 41 लाख रुपये (44000 पाउंड) में बिका. इसका सीरियल नंबर HA 078400 था. टैक्स आदि मिलाकर नीलामी में इसे खरीदने वाले को 49 लाख रुपये ( 52800 पाउंड) देने पड़े.
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तब भारत का नोट और रियाल बराबर कीमत के थे
जिस समय भारत सरकार ने ये खास नोट जारी किए, उस समय भारतीय मुद्रा और सऊदी अरब की मुद्रा की कीमत बराबर थी. भारत की मुद्रा आराम से सऊदी अरब में चलती थी, इसलिए लोग चोरी चुपके ज्यादा नोट लेकर जाते थे.
अक्सर जब सऊदी अरब सरकार भारतीय मुद्रा को भारत सरकार को लौटाती थी, तो ये जरूरत से ज्यादा ही निकलते थे. इसी से बचने के लिए रिजर्व बैंक ने ये नया काम किया. अपने रंग के कारण हज के ये नोट आसानी से पहचाने जा सकते थे, इन्हें हज नोट या हज रुपये भी कहा जाता था. 70 के दशक के बाद सऊदी मुद्रा के दाम भारतीय रुपये की तुलना में मजबूत होते गए. अब तो सऊदी रियाल दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा है.
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अब हज यात्रियों को 2100 रियाल दिए जाते हैं
हज कमेटी मुंबई के एक अधिकारी के अनुसार जब हज करेंसी बंद की गई तो हज यात्रियों को बैंक ड्राफ्ट देना शुरू किया गया, जिसे वो रियाल में बदल सकते थे. अब जब हज यात्री सऊदी अरब के लिए उड़ान भरते हैं तब भारतीय एयरपोर्ट पर उन्हें 2100 रियाल दिए जाते हैं.