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बिपरजॉय साइक्‍लोन- हवा की गति 45 से 50 किमी. प्रति घंटे होने पर रोका जाता है ट्रेनों को, क्‍या है वजह!

एक्‍सपर्ट बताते हैं कि जब हवा की स्‍पीड अधिक होती है तो धूल भी उड़ने लगती है. धूल की वजह से दृष्‍टता कम हो जाती है. इस दौरान लोको पायलट को सिग्‍नल देखने में परेशानी हो सकती है.

नई दिल्‍ली. गुजरात के सौराष्‍ट्र और कच्‍छ में बिपरजॉय साइक्‍लोन की संभावना को देखते हुए सरकार ने हर तरह का इंतजाम कर रखे हैं, चाहे डाक्‍टरों की टीम हो, एनसीआरएफ हो या फिर ट्रेनों का सफल संचालन. सभी को मुस्‍तैद कर दिया गया है. खास बात यह है कि इस दौरान 100 से अधिक ट्रेनों का संचालन ठप रहेगा, वहीं लोको पायलटों को निर्देश दिए गए है कि हवा की गति 50 किमी. से अधिक होने पर ट्रेनों का संचालन रोके दें. आखिर जब ट्रेन को ट्रैक पर चलना है तो ट्रेनों को रोकने के निदे्रश क्‍यों दिए गए हैं.

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पश्मिच रेलवे ने सावधानी बरतते हुए बिजरजॉय के संभावित इलाकों में खास निर्देश दिए हैं. रेलवे स्‍टेशनों पर पहले से ही डाक्‍टरों आदि की टीम बैठा दी गई हैं. वहीं यात्रियों को परेशानी न हो, इसके लिए तमाम ट्रेनों को तय स्‍टेशन से पहले टर्मिनेट कर दिया गया हैं, वहीं कई ट्रेनों को तय सटेशनों के बजाए दूसरे स्‍टेशनों से चलाया जाएगा. साइक्‍लोन के दौरान हवा की गति को मोनिटर करने के लिए एनीमोमीटर लगाए गए हैं.

हवा की गति 50 किमी. से अधिक होने पर ट्रेनें रोकने के संबंध में रेलवे के एक्‍सपर्ट बताते हैं कि जब हवा की स्‍पीड अधिक होती है तो धूल भी उड़ने लगती है. धूल की वजह से दृष्‍टता कम हो जाती है. इस दौरान लोको पायलट को सिग्‍नल देखने में परेशानी हो सकती है. इसके अलावा ट्रैक पर सामने जानवर आदि आने पर दिखाई नहीं पड़ सकता है. इस वजह से लोको पायलटों को सौराष्‍ट्र और कच्‍छ के क्षेत्र में हवा की गति 50 किमी. प्रति घंटे होने पर ट्रेनों को रोकने के निदे्रश दिए गए हैं.

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ट्रैक के किनारे पेड़ पौधे भी लगे होते हैं. तेज हवा के दौरान ये पेड़ टूट सकते हैं और ट्रेन पर गिर सकते हैं. जिससे ट्रेन या यात्रियों को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा तेज हवा के दौरान ओएचई भी क्षतिग्रस्‍त हो सकती है, जिसका प्रभाव यात्रियों और ट्रेन दोनों पर पड़ सकता है, इन तमाम वजहों से हवा की गति 50 किमी. होने पर ट्रेनों को रोकने के निदे्रश दिए गए हैं.

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