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मध्य प्रदेश

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर आगे बढ़ेंगे PM मोदी? लोकसभा के साथ होंगे MP-छत्तीसगढ़ के चुनाव!

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तकरीबन 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. उसके बाद आम चुनाव का बिगुल बज जाएगा, मतलब समूचे तंत्र को इसी चुनावी खेल में फंसे रहना पड़ेगा.

One Nation-One Election: देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है. कभी लोकसभा चुनाव, तो कभी विधानसभा, इनसे छुटकारा मिला तो निकाय चुनाव. आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई नई योजना/परियोजना पर काम नहीं किया जा सकता. लिहाजा, देश की विकास गति रुक जाती है. इससे निजात पाने के लिए पीएम मोदी ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का फॉर्मूला दिया है. विधि आयोग इसका रोड मैप और रूपरेखा तैयार करने में लगा हुआ है.  माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी इसे लागू कर देंगे. 

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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तकरीबन 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. उसके बाद आम चुनाव का बिगुल बज जाएगा, मतलब समूचे तंत्र को इसी चुनावी खेल में फंसे रहना पड़ेगा. राजनीतिक गलियों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के आगे या पीछे 6 महीने के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जा सकते हैं. इसी को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी समय से पहले आम चुनाव कराए जाने की उम्मीद जताई है. 

बिहार के मुख्यमंत्री का दावा है कि मोदी सरकार समय से पहले आम चुनाव करा सकती है. उनका कहना है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तो भी पार्टी ने समय से पहले चुनाव करा दिया था. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार ने इस तरह का बयान ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को ध्यान में रखते हुए दिया होगा. उनका कहना है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है, इसी को देखते हुए आम चुनाव आगे कराए जा सकते हैं. या फिर इन राज्यों के विधानसभा चुनावों को पीछे खिसकाया जा सकता है. 

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चुनावों पर होने वाले खर्चे को देखते हुए भी वन नेशन-वन इलेक्शन बहुत जरूरी हो गया है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव सबसे महंगा चुनाव था. इसमें 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव पर 30 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इस हिसाब से अगर सुधरे नहीं तो 2024 के लोकसभा चुनाव पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे. विधानसभा चुनाव का खर्च अलग से होगा. मौजूदा अर्थव्यवस्था की यह बड़ी चुनौतियों में से एक है. 

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