शेयर बाजार में निवेश करते समय सावधान रहना चाहिए। कई बार समझदार लोग भी सामूहिक फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं। इससे कैसे बचा जा सकता है। इसके बारे में वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। ब्रिटिश महिला जूलियट डिसूजा ने 1998-2010 के दौरान ब्रिटेन के कई अमीरों से दोस्ती की और उन्हें ठगा। तमाम सफल ठगों की तरह, इस महिला के शिकार भी उस पर पूरा-पूरा भरोसा करते थे और अपनी मर्जी से अपने पैसे उसके हाथों में रख देते थे। अपनी ठगी से उसने करीब 50 लाख से एक करोड़ पाउंड लूटे, बेशुमार दौलत जमा की और लंदन में चार फ्लैट भी लिए। 2015 में उसे, 11 लोगों को धोखा देने का दोषी ठहराया गया और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई।
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शेयर बाजार में सावधानी जरूरी
इतने आत्मविश्वास के साथ इतने सारे लोगों से धोखाधड़ी करना, अचरज में डालने वाली बात है। मगर जो खेल एफटीएक्स के सैम बैंकमैन-फ्रीड ने खेला है, उसके मुकाबले तो ये छोटी-मोटी जेब काटने जैसी बात हुई। बैंकमैन के मामले में तो उसके शिकार लोगों ने उस पर भरोसा किया और अपनी मर्जी से उसे पैसे दिए। मगर उसने लोगों के क्रिप्टो के जुनून का फायदा उठाया और अपने फ्रॉड को औद्योगिक स्तर पर ले गया।
हालांकि, मुझे लगता है कि जूलियट डिसूजा की ठगी के शिकार लोग, मनोवैज्ञानिक नजरिये से ज्यादा दिलचस्प और सबक लेने वाले हैं। जब कोई क्रिप्टो जैसे ग्लोबल फ्राड या आजकल के डिजिटल स्टार्टअप रैकेट का शिकार होते हैं, तो बहाना होता है कि लाखों लोगों ने भी तो यही किया है।
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समझदार लोग भी करते हैं गलतियां
बड़े स्तर पर ठगे जाने में ये तर्क दिया जाता है कि जब इतने सारे लोग कर रहे हैं और मीडिया के साथ-साथ फाइनेंस उद्योग भी समर्थन कर रहा है, तो उसमें कुछ तो सच्चाई रही होगी। हालांकि, व्यक्तिगत स्तर पर किए गए फ्रॉड के पीछे अलग किस्म का तर्क दिया जाता है। जैसे कि इस महिला ने कुछ अलौकिक या दूसरी दुनिया की शक्तियां होने का दावा किया और लोगों ने हर तरह की चीजों के लिए पैसे दिए।
इसमें व्यक्तिगत, फाइनेंसियल और दुनियावी चीजें दे दीं। ऐसी धोखाधड़ी के हर मामले में, पीडि़तों ने बड़ी-बड़ी झूठी बातों पर भरोसा किया जो पूरी तरह वास्तविकता और तर्क से परे थीं। ठगी के शिकार ज्यादातर व्यक्ति सफल लोगों में शुमार होते थे क्योंकि ऐसे ही लोगों के पास पैसा था जो उन्हें ठगे जाने के काबिल बनाता था।
दरअसल, वे रईस लोग पहले से खासे सुर्खियों में रहे थे। ये अपने-अपने पेशे के सक्षम लोग थे जो दुनिया के काम करने के तौर-तरीके समझते थे और उनसे निपटने के काबिल थे। इन्हें आप वास्तविकता की समझ वाले लोग कह सकते हैं। मगर, जब इनका सामना ठगी से हुआ, तो यही लोग उम्मीद से ज्यादा भोले साबित हुए। दुनिया के कामकाज की उनकी समझ काफी कमजोर साबित हुई।
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कई सफल लोगों को लगता है कि उनकी सफलता एक संयोग है और जीवन के कई ऐसे रहस्य हैं जो उनसे छिपे हुए हैं। दुनिया के काम करने का उनका मानसिक मॉडल ऐसा ही है। बात जब निवेश की आती है, तो लंबे समय से मैं देख रहा हूं कि अलग-अलग लोगों के मन में अलग-अलग मॉडल होते हैं। इनमें सबसे आम ये है, ‘ऐसे लोग हैं जो जानते हैं कि किसी स्टॉक की कीमत कब बढ़ेगी। अगर उनमें से कोई मुझे बता दें, तो मैं पैसे बना सकता हूं.’ ये स्टाक मार्केट का ‘टिप’ मॉडल है।
टिप से रहें दूर
ये इतना दिमाग वाला मॉडल नहीं है जितना इसकी कमी वाला कहलाएगा। बदकिस्मती से ये मॉडल काफी तादाद में है। ‘टिप’ मॉडल की तुलना में ‘ऑपरेटर माडल’ कुछ ज्यादा व्यापक है। ऑपरेटर मॉडल के तहत, लोगों को लगता है कि ऑपरेटर स्टॉक की कीमत पर प्रभाव डालते हैं और सिर्फ ये पता लगाने की जरूरत है कि ये ऑपरेटर क्या कर रहे हैं और फिर उनकी देखा-देखी उसी स्टाक पर दांव लगा दें।
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निवेश की दुनिया में कई तरह से ठगी होती है, लेकिन जो लोग ऊपर बताए मॉडलों में से एक मॉडल को अपना लेते हैं वो ठगों से सुरक्षित रहते हैं। अब आप सोचिए कि वो कौन सा मॉडल है जो ठगी से सुरक्षा देता है।