नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत के नीचे लाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अल नीनो में इसमें एक चुनौती बन सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में दास की ओर से कहा गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से विकास कर सकती है।
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महंगाई में आएगी कमी?
दास की ओर से कहा गया है कि महंगाई के मोर्चे पर हम लगातार नजर रख रहे हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा महंगाई की औसत दर 5.1 प्रतिशत रह सकती है। हम लगातार महंगाई को 4 प्रतिशत के नीचे लाने का प्रयास कर रहे हैं।
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ब्याज कब होगी?
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि ब्याज दरों का महंगाई से सीधा संबंध होता है। अगर खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत या उसके नीचे चली जाती है तो आरबीआई ब्याज दरों को कम कर सकता है। पिछले साल मई 2022 से लेकर आरबीआई रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है। इसके कारण पिछले साल अप्रैल में जो महंगाई दर 7.8 प्रतिशत थी। इस साल मई में घटकर 4.25 प्रतिशत रह गई है। साथ ही कहा कि चालू वित्त वर्ष में क्रेडिट ग्रोथ 16 प्रतिशत रह सकती है।
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महंगाई को लेकर क्या हैं चुनौतियां?
दास ने आगे कहा कि महंगाई को लेकर कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। इसमें भू-राजनीति के कारण अस्थिर अंतरराष्ट्रीय स्थिति और घरेलू स्तर पर मानसून की एक बड़ी भूमिका होगी।
मौजूदा समय में हम मान रहे हैं कि मानसून सामान्य रहेगा। हालांकि, अल नीनो एक चुनौती है, क्योंकि मानसून का सीधा प्रभाव खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर पड़ता है।