सरकार फर्जी जीएसटी पंजीकरण को पकड़ने के लिए दो महीने लंबा अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत करीब 15000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। साथ ही 87 करोड़ रुपये टैक्स चोरी करने वालों से रिकवर किए गए है। ये अभियान 16 मई से शुरू हुआ था और 15 जुलाई को समाप्त होना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जीएसटी विभाग की ओर से फर्जी जीएसटी पंजीकरण पहचानने के लिए चलाए जा रहे अभियान में अब तक 4900 फर्जी जीएसटी पंजीकरण को पकड़ा गया है और इससे 15,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगा है।
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समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में एक जीएसटी अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि नकली जीएसटीआईएन को हटाने के लिए चल रहा दो महीने का अभियान 15 जुलाई को समाप्त होगा।
बड़ी संख्या में पकड़े गए फर्जी पंजीकरण
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सदस्य शशांक प्रिया ने कहा कि इस अभियान के दौरान फर्जी जीएसटी पंजीकरण के बड़ी संख्या में मामले देखने को मिले हैं, जो दिखाता है कि जीएसई के पंजीकरण और रिटर्न प्रक्रिया को और सख्त बनाने की जरूरत है।
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इस अभियान के तहत 69,600 जीएसटी नंबरों को फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए चयनित किया गया था, जिसमें से 59,178 नंबर को फील्ड ऑफिसर्स की ओर से वेरिफाई किया जा चुका है।
आगे कहा कि 16 मई से इस अभियान में 15,035 टैक्स चोरी पकड़ी गई है और 1506 करोड़ रुपये की आईटीसी को ब्लॉक किया जा चुका है, जबकि 87 करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है। ये दिखाता है कि हमें सिस्टम में लूपहोल को पहचाना होगा और पंजीकरण के समय वेरिफिकेशन के मापदंडों पर कार्य करने की आवश्यकता है। बता दें, सरकार की ओर से फर्जी जीएसटी पंजीकरण को पकड़ने के लिए 16 मई से 15 जुलाई तक एक अभियान शुरू किया गया था।
जीएसटी 6 साल पहले हुआ था लागू
जीएसटी केंद्र सरकार की ओर से 6 साल पहले 2017 में लागू किया गया था। तब से लेकर अब तक इसके टैक्सपेयर्स की संख्या दोगुनी होकर 1.40 करोड़ रुपये हो गई है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)