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बिहार

Sawan 2023: बिहार के ‘देवघर’ गरीबनाथ मंदिर में उमड़ती है भक्तों की भीड़, जानें क्या है इतिहास

Sawan 2023: बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित आस्था और श्रद्धा का प्रतीक और मनोकामना लिंग के नाम से भी मशहूर सुप्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर को राज्य का देवघर कहा जाता है. जहां भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं.

मुजफ्फरपुर:Sawan 2023: बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित आस्था और श्रद्धा का प्रतीक और मनोकामना लिंग के नाम से भी मशहूर सुप्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर को राज्य का देवघर कहा जाता है. जहां भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. सावन मास में नेपाल के अलावा बिहार के साथ देश के अन्य राज्यों से श्रद्धालु बाबा गरीब नाथ मंदिर में अपनी मुरादें लेकर आते हैं और सच्चे मन से भक्ति करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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मनोकामना लिंग के नाम से भी मशहूर सुप्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर में सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी लोकल बम और डाक बम सारण जिले के पहलेजा घाट से श्रद्धालु गंगा जल लेकर 80 किलोमीटर दूरी तय कर मुजफ्फरपुर पहुंच कर बाबा का जलाभिषेक करते है. हर साल 20 से 25 लाख कावड़िया बाबा का जलाभिषेक करते है. इसके लिए मंदिर प्रबंधन समिति से लेकर जिला प्रशासन और सेवा दल के लोग कांवरियों के सेवा जुटे रहते हैं.

बाबा गरीबनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार होते गया और इस बीच मंदिर को कई मंजिला बना दिया गया. परिसर में स्थित वट वृक्ष जैसे था वैसे रहने दिया गया. उसके चारों तरफ पक्का निर्माण कराया गया. ताकि मंदिर में आने वाले भक्तों को कोई कष्ट नहीं है. मंदिर परिसर के गर्भ गृह स्थित वट वृक्ष की लोग पूजा अर्चना कर अपनी मन्नत मांगते है. साथ गर्भगृह के सामने एक वर्षों पुराना कुआं है,जहां से लोग जल लेकर बाबा पर जलाभिषेक करते हैं.

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300 साल पुराना है मंदिर का इतिहास

गरीबनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास 300 साल पुराना है।इस स्थान पर पहले घना जंगल हुआ करता था।इस जंगल के बीच एक वट वृक्ष के पेड़ थे। पेड़ की कटाई के समय अचनाक खून जैसा लाल पदार्थ निकलने लगा और जब इस जगह की खुदाई की गई तो यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला और खुदाई के दौरान शिवलिंग भी कट गया था,जिसका निशान आज भी मौजूद हैं।उसके बाद जमीन मालिक ने शिव लिंग वाली जगह पर टीन की चादर डाल कर एक छोटा सा मंदिर का निर्माण करा यहां पर बाबा भोलेनाथ की पूजा की जाने लगी।

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