All for Joomla All for Webmasters
शेयर बाजार

Multi-Cap Funds: क्या होता है मल्टी कैप फंड, जानें- इससे कैसे रिस्क और रिटर्न को सही तरीके से किया जा सकता है मैनेज?

mutual funds

Multi-Cap Funds: मल्टी-कैप फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित अलग-अलग मार्केट कैप के शेयरों में इन्वेस्ट किया जाता है.

Multi-Cap Funds: Risk and Return Analysis: मल्टी-कैप फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों सहित अलग-अलग मार्केट कैप के शेयरों में इन्वेस्ट किया जाता है. स्पेशल-कैप फंडों के विपरीत, जो केवल मार्केट के एक सेगमेंट पर फोकस करते हैं. मल्टी-कैप फंड डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो प्रदान करते हैं, जो कई साइज और सेक्टर की कंपनियों में एक्सपोजर का ऑफर करते हैं.

ये भी पढ़ें–:Varanasi Gold Rate: सोना-चांदी खरीदने का अच्छा मौका, फटाफट चेक करें लेटेस्ट रेट

मल्टी-कैप फंड का रिस्क और रिटर्न क्या है?

मार्केट रिस्क

मल्टी-कैप फंड पूरे मार्केट में शेयरों में इन्वेस्ट किए जाते हैं, वे सामान्य मार्केट में उतार-चढ़ाव के अधीन होते हैं. बाज़ार की एक्टिविटीज फंड के ओवरऑल परफॉरमेंस को प्रभावित कर सकती हैं, और मंदी के दौरान, फंड के मूल्य में गिरावट आ सकती है.

डायवर्सिफिकेशन

मल्टी-कैप फंडों के भीतर डायवर्सिफिकेशन पर्सनल कंपनियों से जुड़े रिस्क को कम कर सकता है. यदि फंड मैनेजर उचित रूप से पैसे को एलोकेट नहीं कर पाते हैं या खराब परफॉरमेंस वाले शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं, तो इससे रिस्क की गुंजाइस बनी रहीत है.

ये भी पढ़ें–:Petrol Diesel Prices: यूपी में पेट्रोल के दाम में तेज उछाल, राजस्थान में सस्ता हुआ फ्यूल, नई रेट लिस्ट जारी

सेक्टोरल रिस्क

मल्टी-कैप फंड अलग-अलग सेक्टर्स में इन्वेस्ट करते हैं. यदि किसी स्पेशल सेक्टर में मंदी का अनुभव होता है, तो यह फंड के ओवरऑल रिटर्न पर निगेटिव असर डाल सकता है.

लिक्विडिटी रिस्क

कुछ मार्केट स्थितियों में, कुछ स्मॉल-कैप शेयरों में लिक्विडिटी की कमी हो सकती है. इससे फंड मैनेजर के लिए अनुकूल कीमतों पर शेयर खरीदना/बेचना चैलेंजिंग हो सकता है, जिससे संभावित रूप से रिटर्न पर असर पड़ सकता है.

हाई रिटर्न की संभावना

ये भी पढ़ें–:Petrol Diesel Prices: यूपी में पेट्रोल के दाम में तेज उछाल, राजस्थान में सस्ता हुआ फ्यूल, नई रेट लिस्ट जारी

मल्टी-कैप फंडों को स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों की डेवलपमेंट कैपेसिटी का लाभ उठाने का फायदा मिलता है, जो तेजी के मार्केट स्टेप्स के दौरान लॉर्ज-कैप शेयरों से बेहतर परफॉरमेंस कर सकते हैं. इससे अधिक रिटर्न मिल सकता है.

डायवर्सिफिकेशन बेनिफिट्स

अलग-अलग साइज और सेक्टर्स की कंपनियों में इन्वेस्ट करके, मल्टी-कैप फंड किसी एक सेगमेंट में खराब परफॉरमेंस के प्रभाव को बैलेंस कर सकते हैं, संभावित रूप से लॉन्ग टर्म में अधिक स्थिर रिटर्न ऑफर कर सकते हैं.

एक्टिव मैनेजमेंट

कुशल फंड मैनेजर हाई परफॉरमेंस वाले शेयरों की पहचान करने के लिए अपनी एक्सपर्टाइज का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे इंडेक्स फंड जैसे इन-एक्टिव इन्वेस्ट ऑप्शंस की तुलना में बेहतर रिटर्न मिल सकता है.

ये भी पढ़ें– ₹100 तो रोज खाने-पीने में उड़ा देते होंगे, इतना ही बचा लें तो 15 सालों में आराम से खरीद लेंगे महंगी सी कार

क्या यह प्रबंधन का सबसे बेहतरीन ऑप्शन है?

इन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर मल्टी-कैप फंड की उपयुक्तता व्यक्ति की रिस्क अपेटाइट, इन्वेस्टमेंट टार्गेट और समय सीमा समेत अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जो निम्न प्रकार हैं:

डायवर्सिफिकेशन

यदि कोई इन्वेस्टर डायवर्सिफिकेशन चाहता है, लेकिन लॉर्ज कैटेगरी की कंपनियों में इन्वेस्टमेंट पसंद करता है, तो मल्टी-कैप फंड एक एक्सीलेंट ऑप्शन हो सकता है. वे किसी स्पेशल मार्केट सेगमेंट तक सीमित न रहकर डायवर्सिफिकेशन के लाभ प्रदान करते हैं.

रिस्क अपेटाइट

ये भी पढ़ें– Jehanabad News: श्रावणी मेले के पहले दिन सड़क हादसे में एक की मौत, ऑटो और मालवाहक गाड़ी टकराई; सात लोग घायल

रिस्क से बचने वाले इन्वेस्टर्स के लिए मल्टी-कैप फंड आदर्श ऑप्शन नहीं हो सकते हैं, क्योंकि वे मार्केट में गिरावट के दौरान ज्यादा उतार-चढ़ाव का अनुभव कर सकते हैं.

एक्टिव Vs इनएक्टिव मैनेजमेंट

मल्टी-कैप फंड एक्विट तरीके से मैनेज किए जाते हैं, जिसका मतलब है कि उनका परफॉरमेंस काफी हद तक फंड मैनेजर के कौशल पर निर्भर करता है. जो इन्वेस्टर व्यावहारिक विजन पसंद करते हैं, उन्हें इंडेक्स फंड जैसे एक्टिव इन्वेस्टमेंट ऑप्शन ज्यादा अट्रैक्टिव लग सकते हैं.

इन्वेस्टमेंट होराइजन

हाई रिस्क अपेटाइट वाले लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए, मल्टी-कैप फंड स्मॉल और मिड-कैप कंपनियों की ग्रोथ से संभावित हायर रिटर्न से बेनिफिट उठाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें– ₹100 तो रोज खाने-पीने में उड़ा देते होंगे, इतना ही बचा लें तो 15 सालों में आराम से खरीद लेंगे महंगी सी कार

एक्सपेंस रेशियो

इन्वेस्टर्स को फंड के एक्सपेंस रेशियो पर भी विचार करना चाहिए, क्योंकि अधिक खर्च ओवरऑल रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top