बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजारों में जारी तेजी इस बात का संकेत है कि व्यापारियों को सरकार की स्थिरता पर भरोसा है.
Share Market: बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजारों में जारी तेजी इस बात का संकेत है कि व्यापारियों को सरकार की स्थिरता पर भरोसा है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले आम धारणा यह है कि भारत वैश्विक स्तर पर उन चुनिंदा उभरते बाजारों में से होगा, जो आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय तक नए उच्चतम स्तर को छूते रहेंगे.बाजार पर्यवेक्षकों का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा नीतियों के मामले में प्रदान की गई स्थिरता को लेकर व्यापारी वर्ग काफी आश्वस्त है. यह घरेलू शेयर बाजारों में तेजी के पीछे मुख्य कारणों में से एक है.
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निवेशकों को FPI को आकर्षित कर रहे हैं
स्टॉक ब्रोकर और भारतीय बाजारों के साथ-साथ सरकारी नीतियों के लंबे समय से पर्यवेक्षक ए. चौधरी ने कहा कि पूर्वानुमान और स्थिरता दो कारक हैं जो विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को आकर्षित कर रहे हैं.उन्होंने कहा, ये दो कारक भारतीय शेयर बाजारों के सूचकांकों में तेजी कायम रखे हुए हैं, और यह गति अगले साल भी जारी रहने की संभावना है. उन्होंने आगे बताया कि व्यापारियों के बीच उम्मीद है कि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए तीसरी बार भी सरकार बनाएगा. सरकार की स्थिरता के साथ पूर्वानुमान की इस भावना ने भारतीय शेयर बाजार में निरंतर तेजी को प्रेरित किया है.
Inflation में गिरावट जारी रहती है
इसके अलावा, अर्थशास्त्री भी कहते रहे हैं कि नीतिगत सुधार जारी रहना चाहिए और अगर मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रहती है, तो अच्छे मानसून के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक सफलता की कहानी का उदाहरण बन सकती है.चौधरी ने कहा, हालांकि, आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए मौसम, विशेष रूप से मानसून का अच्छा होना जरूरी है, जो बदले में भारतीय बाजारों पर अपना प्रभाव बनाए रखेगा.हालांकि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल और तमिलनाडु जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में बारिश कमी हुई है, जिससे आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है.
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हालांकि, उन्होंने दोहराया कि इन सबके बीच स्थिरता और नीतिगत निरंतरता को लेकर सकारात्मक भावना उम्मीद की किरण है जिसके दम पर शेयर बाजारों के सूचकांकों को गति मिल रही है. इसके अलावा अगस्त का महीना अभी आने वाला है। विशेषज्ञ आशावादी हैं कि बारिश की कमी वाले राज्यों तक मानसून पहुंच सकता है, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, इसलिए, मुद्रास्फीति में कमी के साथ समग्र सकारात्मक भावनाओं से बाजार में गति बने रहने की उम्मीद है.