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शादी में दूल्‍हे का क्‍यों चुराया जाता है जूता, महंगे गिफ्ट या पैसे के लिए नहीं, बल्कि इसलिए निभाई जाती है यह रस्‍म

Marriage Shoe Stealing Ritual : शादी में दुल्‍हन की बहन दूल्‍हे का जूता चुराती हैं. इसके एवज में दूल्‍हे पक्ष की ओर से दुल्‍हन की बहन को रस्‍म के तौर पर कुछ नेग दिया जाता है. सनातन धर्म में यह रस्‍म कई पीढ़ियों से चली आ रही है. क्‍या आपको पता है कि शादी में इस रस्‍म का क्‍या महत्‍व होता है.

Marriage Shoe Stealing Ritual : शादी से पहले और शादी से बाद कई दिनों तक रस्‍में निभाई जाती हैं. इन्‍हीं में से एक रस्‍म हैं शादी में लड़की पक्ष की ओर से दूल्‍हे का जूता चुराने का. शादी में दुल्‍हन की बहन दूल्‍हे का जूता चुराती हैं. इसके एवज में दूल्‍हे पक्ष की ओर से दुल्‍हन की बहन को रस्‍म के तौर पर कुछ नेग दिया जाता है. सनातन धर्म में यह रस्‍म कई पीढ़ियों से चली आ रही है. क्‍या आपको पता है कि शादी में इस रस्‍म का क्‍या महत्‍व होता है. तो आइए जानते हैं इसके बारे में…

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यह है परंपरा 
किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले जूते चप्पल बाहर निकाल दिए जाते हैं. ठीक ऐसे ही दूल्हा जब शादी के मंडप में जाता है तो वह अपना जूता बाहर निकाल देता है. इसी दौरान दुल्हन की बहनें यानी सालियां उस जूते को चुराने की कोशिश करती हैं. हालांकि इस दौरान दूल्हे के भाई जूते को चुराने से बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन सालियों के आगे उनकी चलती नहीं है और अंत में वे जूते को अपने कब्जे में ले ही लेती हैं. 

शगुन में महंगे गिफ्ट मांगती हैं 
शादी में सालियों द्वारा किए जाने वाले इस रस्म का विशेष महत्व है. इस दौरान सालियां दूल्हे यानी अपने जीजाजी से शगुन और महंगे तोहफे का डिमांड करती हैं. जब तक वे उनकी डिमांड पूरी नहीं करते तब तक उन्हें जूते वापस नहीं मिलते हैं. इस मजेदार रस्म की सबसे खास बात यह है कि वर-वधू दोनों अपना-अपना पक्ष रखते हैं. 

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जानिए जूते चुराने की वजह
शादी में जूते चुराने की सबसे बड़ी वजह की बारे में बताए तो ऐसा माना जाता है कि किसी भी इंसान के जूते उसके सारे रहस्य खोल देते हैं. इसलिए शादी में दुल्हन की बहन और उनकी सहेलियां जूते चुराकर अपने जीजा जी के पर्सनाल्टी का टेस्ट भी ले लेती हैं या यूं कहें तो इसमें जीजा जी कितने समझदारी के साथ अपने जूते वापस ले लेते हैं. 

खुशियों में बदलता है गम का माहौल
शादी के दौरान जूते चुराई की रस्म से ठीक पहले दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेते हैं और माता-पिता अपने बेटी को वर पक्ष को सौंप देते हैं. इस दौरान दुल्हन पक्ष के लोग दुखी होने लगते हैं. इसी दौरान लड़की पक्ष यानी दुल्हन की बहन और सहलियां जीजा जी का जूता चूरा लेते हैं. इस रस्म को शुरू करते ही दोनों पक्ष के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और गम का माहौल खुशी में बदल जाता है.

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