All for Joomla All for Webmasters
बिज़नेस

Saving Account Limit: बड़ी खबर! इससे ज्यादा रकम अकाउंट में रखने पर आपके घर आ जाएगा इनकम टैक्स का नोटिस

income_tax

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR)एक फॉर्म है जिसका इस्तेमाल आयकर विभाग को आपकी इनकम और टैक्स के बारे में जानकारी देने के लिए किया जाता है. किसी करदाता की टैक्स देनदारी की गणना उसकी इनकम के आधार पर की जाती है.

वर्तमान समय में लगभग हर व्यक्ति के पास बैंक में सेविंग अकाउंट है. अकाउंट में अपनी आमदनी और बचत के हिसाब से लोग पैसे रखते हैं. आप अपने सेविंग अकाउंट को UPI से लिंक करके इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking) की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें–  Credit Card: जब क्रेडिट कार्ड कंपनियां फ्री में जारी करती हैं कार्ड, तो कैसे कमाती हैं करोड़ों रुपये; यहां पाएं हर सवाल का जवाब

बचत खाते में आप अपना पैसा सुरक्षित रख सकते हैं और बैंक आपको इस पर ब्याज (Interest) भी प्रदान करता है. इससे आपकी अतिरिक्त आजीविका सुनिश्चित होती है.

सेविंग अकाउट में जमा की जा सकने वाली राशि की क्या कोई सीमा होती है?

आपको बता दें, अधिकांश बैंक बचत खाते (Saving Account) में जमा की जाने वाली राशि पर कोई सीमा नहीं लगाते हैं. हालांकि, अगर आप एक निश्चित रकम से ज्यादा जमा करते हैं तो आपको इस पर टैक्स (Tax) देना पड़ सकता है.

 इनकम टैक्स के क्या नियम हैं?

जब आप आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको अपने बचत खाते में जमा पैसे का विवरण आयकर विभाग को देना होता है. आपकी जमा राशि पर अर्जित ब्याज आपकी वार्षिक आजीविका में जुड़ जाता है.

ये भी पढ़ें–  Aeroflex Industries IPO: इस आईपीओ में बोली लगाने के लिए निवेशकों की लगी कतार, खुलते ही 100% हुआ सब्सक्राइब

अब एक नया अपडेट आया है. अगर आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते में 10 लाख रुपये या उससे अधिक रखते हैं, तो आपको इसकी सूचना आयकर विभाग (Income Tax Department) को देनी होगी. ऐसा न करने पर आप पर टैक्स चोरी का आरोप लग सकता है. आपके घर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के तहत इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है. कुल मिलाकर बात ये है एक बचत खाता आपकी मेहनत की कमाई को संग्रहीत करने का एक सुरक्षित तरीका प्रदान करता है, लेकिन अर्जित ब्याज और जमा किए गए राशि पर टैक्स को समझना भी महत्वपूर्ण है.

इनकम टैक्स रिर्टन क्या है?

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR)एक फॉर्म है जिसका इस्तेमाल आयकर विभाग को आपकी इनकम और टैक्स के बारे में जानकारी देने के लिए किया जाता है. किसी करदाता की टैक्स देनदारी की गणना उसकी इनकम के आधार पर की जाती है. अगर रिटर्न से पता चलता है कि एक वर्ष के दौरान अतिरिक्त कर का भुगतान किया गया है, तो व्यक्ति आयकर विभाग से आयकर रिफंड प्राप्त करने का पात्र होगा.

ये भी पढ़ें–  Raju Punjabi Death: हरियाणवी सिंगर राजू पंजाबी का निधन, लंबे समय से थे बीमार

आयकर कानूनों के अनुसार, रिटर्न हर साल उस व्यक्ति या व्यवसाय की ओर से फाइल की जानी चाहिए जो वित्तीय वर्ष के दौरान कोई आय अर्जित करता है. इनकम सैलरी, व्यावसायिक लाभ, गृह संपत्ति से इनकम या लाभांश, पूंजीगत लाभ, ब्याज या अन्य स्रोतों के माध्यम से अर्जित हो सकती है.

किसी व्यक्ति या व्यवसाय को एक तय तारीख से पहले टैक्स रिटर्न दाखिल करना होता है. अगर कोई करदाता समय सीमा का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे जुर्माना देना होगा.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top