Adani Investigation- सेबी की जांच में पाया गया है कि अडानी समूह ने कुछ रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के डिस्क्लोजर से संबंधित नियमों का उल्लंघन किया है. साथ ही कुछ कंपनियों में ऑफशोर फंड की हिस्सेदारी भी नियमों के मुताबिक नहीं थी.
नई दिल्ली. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ अपनी जांच में डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों के उल्लंघन और ऑफशोर फंड्स की होल्डिंग सीमा के उल्लंघन का मामला सामने आया है. गौतम अडानी की अगुआई वाले अडानी ग्रुप पर अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने इस साल जनवरी में अपनी एक रिपोर्ट में कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े कई सवाल उठाए थे. इसके बाद SEBI ने जांच शुरू की थी. SEBI की यह जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रही है और मंगलवार 29 मई को इस मामले में कोर्ट सुनवाई करेगा. अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों से इंकार करता आया है.
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मनीकंट्रोलपर समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ये उल्लंघन “तकनीकी” प्रकार के हैं. इनके उल्लंघन पर जांच पूरी होने के बाद आर्थिक दंड से अधिक कोई कार्रवाई नहीं होगी. रिपोर्ट में एक दूसरे सूत्र ने बताया कि SEBI की अभी अपनी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की कोई योजना नहीं है. इससे पहले शुक्रवार 25 अगस्त को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने अडानी ग्रुप के लेनदेन की जांच लगभग पूरी कर ली है. अडानी ग्रुप ने सेबी के निष्कर्षों पर टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के सोमवार को किए गए अनुरोध का जवाब नहीं दिया. सेबी की टिप्पणी के लिए भी भेजी गई ई-मेल का जवाब अभी मार्केट रेगुलेटर ने नहीं दिया है.
रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन डिस्क्लोजर से जुड़ा है उल्लंघन
सूत्रों ने कहा कि जांच में एक अहम निष्कर्ष कुछ रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के खुलासे के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है. सूत्र ने बताया,”रिलेटेड पार्टी के साथ लेनदेन की पहचान की जानी चाहिए और सूचना दी जानी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह भारतीय सूचीबद्ध कंपनी की वित्तीय स्थिति की गलत तस्वीर पेश कर सकता है.” हालांकि, रॉयटर्स ने यह नहीं बताया है कि सेबी ने किन कंपनियों की जांच की है.
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SEBI ने कोर्ट में जमा डॉक्यूमेंट्स में कहा कि उसने रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के 13 मामलों की जांच की है. सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक कंपनी की ओर से प्रत्येक उल्लंघन पर अधिकतम जुर्माना 1 करोड़ रुपये (1,21,000 डॉलर) तक हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में यह भी पाया गया कि कुछ अडानी कंपनियों में ऑफशोर फंड की हिस्सेदारी नियमों के मुताबिक नहीं थी. भारतीय कानून किसी ऑफशोर निवेशक को FPI रूट के जरिए अधिकतम 10 फीसदी निवेश की इजाजत देता है. इससे बड़े निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप मे वर्गीकृत किया जाता है. सूत्रों का कहना है कि कुछ ऑफशोर इनवेस्टर ने अनजाने में इस सीमा का उल्लंघन किया है.