इक्विटी मार्केट की रिकॉर्ड रिकवरी के लिए कई फैक्टर्स को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिनमें गवर्नमेंट रिफॉर्म्स, ग्लोबल लिक्विडिटी, स्ट्रांग कॉर्पोरेट इनकम और विदेशी निवेश शामिल हैं.
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Equity Market Soaring: इंडियन इक्विटी मार्केट शॉर्ट-टर्म की गिरावट के बाद फिर से तेजी की राह पर दौड़ पड़ा है. मार्केट में आई तेजी में इन्वेस्टर्स और एनालिस्ट्स सभी समान रूप से इंटरेस्ट ले रहे हैं.
आइए, यहां पर समझते हैं कि इंडियन इक्विटी मार्केट में आई इस शानदार रिकवरी में कौन से फैक्टर्स सपोर्ट कर रहे हैं?
गवर्नमेंट रिफॉर्म्स
शेयर मार्केट में इस शानदार बढ़त में योगदान देने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक भारत सरकार की आर्थिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता है. “मेक इन इंडिया,” (Make In India) “आत्मनिर्भर भारत” (Atmanirbhar Bharat) जैसी पहल और हाल के प्राइवेटाइजेशन के प्रयासों ने इन्वेस्टर्स में भरोसा जगाया है, जो एक ट्रेड-सपोर्टिव माहौल के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है.
ग्लोबल लिक्विडिटी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) समेत दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा प्रदान की गई पर्याप्त लिक्विडिटी ने मार्केट की धारणा को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस लिक्व्डिटी इंजेक्शन से ब्याज दरों में कमी आई है और इन्वेस्टमेंट एक्टिविटीज में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
मजबूत कॉर्पोरेट इनकम
भारतीय कंपनियों ने महामारी से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में फ्लेक्जिबिलिटी दिखाई. टेक्नोलॉजी, फार्मास्यूटिकल्स और ई-कॉमर्स समेत कई सेक्टर्स ने मजबूत इनकम रजिस्टर की है, जिससे इन्वेस्टर्स का भरोसा और बढ़ा है.
विदेशी संस्थागत निवेशक (FII)
फॉरेन इन्वेस्टर इंडियन इक्विटी मार्केट में पैसा लगा रहे हैं. इंडियन इक्विटी में FIIs की बढ़ती भागीदारी देश की लॉन्ग-टर्म विकास संभावनाओं में उनके विश्वास को दर्शाती है.
टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन
आईटी सेवाओं और स्टार्टअप सहित भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला रहा है. महामारी के दौरान डिजिटलाइजेशन को तेजी से अपनाने से टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए अवसर पैदा हुए हैं, जो घरेलू और विदेशी दोनों इन्वेस्टर्स को आकर्षित कर रहे हैं.
मोनेटरी पॉलिसीज
RBI की उदार मौद्रिक नीति के रुख के साथ-साथ कम ब्याज दरों ने उधार लेने और इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित किया है, जिससे आर्थिक विकास और इक्विटी बाजार के प्रदर्शन में तेजी आई है.
वैक्सीन रोलआउट
COVID-19 टीकों का सफल रोलआउट एक गेम-चेंजर रहा है. इससे तेजी से आर्थिक सुधार और सामान्य स्थिति में वापसी को लेकर आशावाद पैदा हुआ है, जिससे इन्वेस्टर्स का भरोसा बढ़ा है.
रीटेल पार्टिसिपेशन
ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक आसान पहुंच और कम ब्याज दर वाले माहौल में अधिक रिटर्न की चाहत के कारण रीटेल इन्वेस्टर्स ने इक्विटी इन्वेस्टमेंट को तेजी से अपनाया है. रीटेल इन्वेस्टर्स की इस आमद ने बाजार में गहराई बढ़ा दी है.
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गौरतलब है कि इक्विटी मार्केट की रिकॉर्ड रिकवरी को कई फैक्टर्स को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिनमें गवर्नमेंट रिफॉर्म्स, ग्लोबल लिक्विडिटी, स्ट्रांग कॉर्पोरेट इनकम, विदेशी निवेश शामिल हैं. हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं, ये फैक्टर्स, भारत की डेवलपमेंट कैपेसिटी के साथ, इसे इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक बनाते हुए मार्केट की शानदार रिकवरी में में योगदान दे रहे हैं.