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G20 Summit: जी-20 बैठक में क्या होगा, कौन-कौन हो रहा शामिल, किन मुद्दों पर होगी चर्चा? यहां जानें सबकुछ

भारत में पहली बार आयोजित हो रहा अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जी20 के लिए सभी नेता नई दिल्ली के भारत मंडपम में पहुंच चुके हैं। शनिवार (9 सितंबर 2023) और रविवार (10 सितंबर 2023) दो दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम की पूरी दुनिया में चर्चा है। शिखर सम्मेलन के पहले दिन सुबह पीएम मोदी के साथ मेहमान देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वेलकम फोटो सेशन होगा। सभी नेता भारत मंडपम के लेवल 2 स्थित लीडर्स लाउंज में पहुंचेंगे।

पहला सत्र होगा वन अर्थ

यहां सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर डेढ़ बजे तक लेवल 2 के समिट हॉल में पहला सत्र ‘वन अर्थ यानी एक पृथ्वी’ होगा। इसके बाद दोपहर का भोज होगा। इसके बाद 3:00 बजे तक भारत मंडपम के लेवल 1 में द्विपक्षीय बैठकें चलेंगी।

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दूसरा सत्र होगा एक परिवार

दोपहर बाद 3 बजे से 4 बजकर 45 मिनट तक मंडपम के लेवल 2 के शिखर सम्मेलन कक्ष में दूसरा सत्र ‘वन फैमिली’ (एक परिवार) होगा।

ये नेता रहेंगे मौजूद

जी-20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीज, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज शिरकत करेंगे।

G20 क्या है और यह क्या करता है?

G20 या ग्रुप बीस के समूह में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका) शामिल हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ भी इसमें है।

ये सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के एक मंच के रूप में यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक व्यवस्था और शासन को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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इसके कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं

-वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सतत विकास प्राप्त करने के लिए इसके सदस्यों के बीच नीति समन्वय;

-वित्तीय नियमों को बढ़ावा देना जो जोखिमों को कम करें और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकें; और

-एक नई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का निर्माण करना।

G20 का गठन कब हुआ और क्यों?

1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया। इसके साथ ही शीत युद्ध का अंत हो गया। उसी समय ग्लोबल साउथ में ब्राज़ील, चीन और भारत जैसे देशों में जीवंत अर्थव्यवस्थाएं उभर रही थीं। इसी संदर्भ में वैश्विक शासन और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता उभरी। सीधे शब्दों में कहें तो मौजूदा मंच जैसे जी7 या विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन उभरती वैश्विक व्यवस्था में संकटों से निपटने में असमर्थ थे।

1997 में एशियाई वित्तीय संकट ने पूर्वी एशिया की कुछ सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया। यह जल्द ही लैटिन अमेरिका में फैल गया। इस संकट के संदर्भ में ही G20 की सबसे शुरुआती पुनरावृत्ति G22 की स्थापना 1998 में हुई थी। शुरुआत में इसकी कल्पना संकट-प्रतिक्रिया बैठक के रूप में की गई थी, 1999 की शुरुआत में वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के सुधारों पर चर्चा करने के लिए 33 सदस्यों (G33) सहित दो और बैठकें बुलाई गई थीं।

1999 के अंत में मौजूदा रूप में G20 अंततः सदस्यों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की वार्षिक बैठक के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में स्थापना के साथ गई थी।

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G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन कब शुरू हुआ? क्यों?

1999 और 2008 के बीच G20 ज़्यादातर लोगों की नज़रों से दूर रहकर काम किया। वार्षिक बैठकें होती थीं, वे उतनी बड़ी बात नहीं थीं, जितनी आज हैं। हालांकि, 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट G20 को उसकी वर्तमान स्थिति में पहुंचा दिया। जब दुनिया महामंदी (1929-39) के बाद सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही थी, तब उस समय यूरोपीय संघ का अध्यक्ष फ्रांस ने संकट के समाधान के लिए एक आपातकालीन शिखर बैठक आयोजित करने की बात कही।

लेकिन किसे आमंत्रित करें? G8 (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका को मिलाकर) इस पैमाने पर संकट को स्थिर करने के लिए अपने आप में पर्याप्त प्रभावशाली नहीं था। आमतौर पर, राजनयिक यह तय करने के लिए महीनों तक विचार-विमर्श करते थे कि किन देशों को बुलाया जाए, लेकिन मौजूदा संकट के बीच, समय ही नहीं था। तब जी20 सही उपाय था।

पहला G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन (‘वित्तीय बाजार और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन’) नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी में आयोजित किया गया था। इसके 20 सदस्यों के नेताओं के अलावा, आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक और यूनाइटेड नेशंस तथा स्पेन और नीदरलैंड जैसे राष्ट्रों को भी आमंत्रित किया गया था। तब से लगातार वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं।

G20 कैसे काम करता है?

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि G20 एक अनौपचारिक समूह है। इसका मतलब यह है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के विपरीत, इसका कोई स्थायी सचिवालय या कर्मचारी नहीं है। बल्कि, G20 की अध्यक्षता सदस्यों के बीच प्रतिवर्ष रोटेट होती रहती है और G20 एजेंडे को एक साथ लाने इसके कामकाज को व्यवस्थित करने और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए जिम्मेदार है।

अध्यक्षता “ट्रोइका” के साथ होती है, यानी- पिछली, वर्तमान और अगले होने वाले अध्यक्ष। भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर 2023 तक अध्यक्ष पद पर रहेगा, जिसमें इंडोनेशिया (पिछला अध्यक्ष), भारत और ब्राजील (अगले अध्यक्ष) शामिल हैं।

G20 एक अन्य अर्थ में भी अनौपचारिक है – हालांकि G20 के निर्णय महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे स्वचालित रूप से लागू नहीं होते हैं। बल्कि जी20 एक ऐसा मंच है जहां नेता विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं और घोषणाएं करते हैं। ये उनके इरादों का संकेत देती हैं। फिर संबंधित राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय संगठन उस पर अमल करते हैं। उदाहरण के लिए यदि जी20 व्यापार पर कोई घोषणा करता है, तो घोषणा का वास्तविक कार्यान्वयन विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे संगठन द्वारा किया जाएगा।

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