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भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा, मिल गया पहला C-295 ट्रांसपोर्टर विमान, जानें क्या है खासियत

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को पहला C-295MW ट्रांसपोर्टर विमान मिल गया है. इसे अगले एक हफ़्ते के भीतर ही भारत लाया जाएगा. भारत सरकार ने स्पेन से 56 नए C-295MW विमानों की खरीद का करार साल 2021 किया था.

नई दिल्‍ली. लंबे समय से भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में सेवाएं दे रहे एवरो छोटे ट्रांसपोर्टर विमानों को अब स्पेन के C-295MW से बदलने का काम शुरू हो गया है. बुधवार को पहला C-295MW ट्रांसपोर्टर विमान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल वी आर चौधरी को स्पेन में सौंपा गया. हैंडिंग ओवर का कार्यक्रम लोकल समय सुबह 1130 पर शुरु हुआ. हैंडओवर होने के बाद अगले एक हफ़्ते के भीतर ये विमान भारत पहुँच जाएगा और इसी महीने दिल्ली में आधिकारिक तौर पर इसे वायुसेना में शामिल किया जाएगा. पुराने हो चले ट्रांसपोर्ट फ्लीट को बदलने के लिए भारत सरकार ने स्पेन से 56 नए C-295MW विमानों की खरीद का करार साल 2021 किया था.

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एयरबस और टाटा इन 56 विमानों में से 16 विमान स्पेन से पूरी तरह से तैयार होकर फ़्लाईवे कंडीशन यानी की स्पेन से सीधे उड़ान भरकर भारत आएँगे जबकि बाकी 40 को लाइसेंस के तहत भारत में बनाया जाएगा. गुजरात के वडोदरा में इसका निर्माण होगा. इस फेसेलिटी का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 30 अक्टूबर को किया था. स्पेन की एयरबस कंपनी से 56 C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट के लिए करार किया था. भारत में एयरबस का पार्टनर टाटा कंसॉर्टियम है. पहली बार कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा. दरअसल, 60 के दशक से भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहे एवरो छोटे ट्रांसपोर्टर विमानों को अब स्पेन के C-295MW से बदला जाएगा.

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C-295 की ख़ासियत
इस नए एयरक्राफ़्ट की माल ढोने की क्षमता 5 से 10 टन की है यानी तक़रीबन 70 सैनिकों और पूरे बैटल लोड के साथ 50 पैराट्रूपर को आसानी से ले जा सकता है. इस एयरक्राफ़्ट से सैनिक और कार्गो को पैरा ड्राप करने के लिए रीयर रैंप डोर भी है. इस एयरक्रफ्ट की खास बात ये है कि ये लो लेवल फ्लाइंग में माहिर है और टैक्टिकल मिशन को अंजाम दे सकता है. ये एयरक्रफ्ट छोटे रनवे से लैंडिंग और टेकऑफ कर सकता है. टेकऑफ महज 670 मीटर से और लैंडिंग 320 मीटर के रनवे पर कर पाने की क्षमता है. 480 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इस एयरक्रफ्ट में स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट लगा हुआ है. मेडिकल इवेक्यूएशन ऑप्रेशन के दौरान इस एयरक्रफ्ट में 24 स्ट्रेचर लगाए जा सकते है.

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ट्रांसपोर्ट फ्लीट को अपग्रेड करने में जुटी वायुसेना
भारतीय वायुसेना मौजूदा ट्रांसपोर्ट फ्लीट की एक असेसमेंट स्टडी भी करा रही है. इसके मुताबिक़ आने वाले दिनों में जो एयरक्रफ्ट रिटायर होने वाले है उनका विकल्प भी ढूँढा जा रहा है. फ़िलहाल भारतीय वायुसेना में एवरो के अलावा भारतीय वायुसेना के पास C-17 ग्लोबल मास्टर, C-130 सुपर हरक्यूलिस, AN-32 और IL 76 ट्रांसपोर्ट विमान है. AN-32 और IL 76 भी पुराने हो चले हैं. AN-32 साल 2032 के बाद सेना में रिटायर होने शुरू हो जाएँगे जबकि IL -76 कुछ और साल अपनी सेवाएँ देंगे. AN-32 के रिप्लेसमेंट के लिए मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की रिक्वेस्ट फ़ॉर इंफॉरमेशन भी वायुसेना की तरफ़ से जारी की गई है.

इंडियन वेंडर से ही खरीद करेगी
आरएफआई के जरिए इंडियन वेंडर से पूछा गया है कि वह किस तरह का ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट दे सकते हैं जो एयरफोर्स की जरूरत पूरी करे. वायुसेना यह खरीद इंडियन वेंडर से ही करेगी. मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट 18 से 30 टन के कार्गो कैरिंग कैपेसिटी वाले ट्रांसपोर्ट होना चाहिए. AN-32 की तरह ही ये मल्टी रोल होना चाहिए जिसमें सैनिकों को ले जाने, सामान ले जाने, सामान ड्रॉप करने, घायलों को निकालने, कॉम्बेट फ्री फॉल आदि के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. बहरहाल जिस तेज़ी भारत एयरक्राफ्ट उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. ये कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले दिन में भारत दुनिया को स्वदेशी विमान बेचेगा.

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