All for Joomla All for Webmasters
समाचार

बड़ी खबर: महिला आरक्षण विधेयक अब बन गया कानून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी

Women Reservation Law: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलते ही भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक के लिए एक गजट अधिसूचना जारी कर दी है. अब देश की संसद के दोनों सदन – लोकसभा और राज्‍यसभा सहित राज्‍यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो गई हैं.

ये भी पढ़ेंडिजिटल पेमेंट में UPI का इस्तेमाल बढ़कर 10 अरब हुआ, P2M ट्रांजैक्शन की भूमिका अहम

नई दिल्‍ली. महिला आरक्षण को लेकर शुक्रवार को एक अच्‍छी खबर आई. हाल ही में संसद के विशेष सत्र के दौरान पास हुए महिला आरक्षण बिल को राष्‍ट्रपति की मंजूरी मिल गई है. राष्‍ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस बिल पर अपने हस्‍ताक्षर कर दिया है, जिसके बाद इसने कानून की रूप ले लिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलते ही भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक के लिए एक गजट अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की आधी आबादी से किए अपने वादे को पूरा कर दिया है. बता दें कि संसद में इस बिल को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ के नाम से पेश किया गया था, जो अब कानून बन गया है.

ये भी पढ़ेंशहरी कचरे से बनेंगी सड़कें? केंद्र सरकार कर रही नीति पर विचार, जानें क्या बोले Nitin Gadkari

महिला आरक्षण कानून बनने के बाद अब देश की संसद के दोनों सदन – लोकसभा और राज्‍यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो गई हैं. साथ ही देश के तमाम राज्‍यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत रिजर्वेशन का हक मिल गया है. अब देश की संसद सहित सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित कर दी गई हैं. इससे पहले सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने महिलाओं के लिए आरक्षण पर जोरदार वकालत की थी.

ये भी पढ़ेंअब नए लुक में नजर आएगा एयर इंड‍िया का स्‍टॉफ, 10 हजार कर्मचार‍ियों के ल‍िए ड्रेस ड‍िजाइन करेंगे मनीष मल्‍होत्रा

1996 में पहली बार महिला आरक्षण बिल हुआ था पेश
यह विधेयक लगभग 27 साल से अटका पड़ा था. मालूम हो कि महिला आरक्षण बिल साल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है. उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था. लेकिन यह पारित नहीं हो सका था. यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था. जब बिल को आखिरी बार 2008 में संसद में पेश किया गया था, तो उसमें रखे प्रस्ताव के मुताबिक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से 33 फीसदी आरक्षित किया जाना था लेकिन यह पास नहीं हो सका था.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top