नासिक की प्याज मंडी में आज 13वें दिन कारोबार शुरू हो गया है. लासलगांव थोक मंडी में आज प्याज की 545 गाड़ियां पहुंची.
ये भी पढ़ें– रेलवे नेटवर्क के मामले में भारत का दुनिया में जलवा, कनाडा जैसे देश भी पीछे
प्याज पर एक्सपोर्ट शुल्क में वृद्धि के विरोध में व्यापारियों द्वारा निलंबित की गई प्याज की नीलामी 13 दिन बाद मंगलवार को महाराष्ट्र के नासिक जिले की करीब सभी कृषि उपज बाजार समितियों (APMC) में फिर से शुरू हुई.
बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एशिया की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी लासलगांव APMC में मंगलवार सुबह 545 गाड़ियां पहुंचीं.
उन्होंने बताया कि शुरुआती सत्र में प्याज की कीमतें न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम 2,541 रुपये प्रति क्विंटल और औसत 2,100 रुपये प्रति क्विंटल रहीं.
प्याज व्यापारी प्याज पर एक्सपोर्ट शुल्क 40% तक बढ़ाने के केंद्र सरकार के हालिया कदम का विरोध कर रहे थे. वे 20 सितंबर से हड़ताल पर थे और नीलामी रोक दी थी.
व्यापारियों ने सोमवार को यहां जिला संरक्षक मंत्री दादा भुसे के साथ बैठक में इस शर्त पर हड़ताल वापस लेने का फैसला किया कि सरकार एक महीने में उनकी मांगों पर फैसला करेगी.
नंदगांव में हड़ताल जारी
नंदगांव में व्यापारियों ने हड़ताल वापस नहीं ली है और वहां नीलामी निलंबित है.
नासिक का प्याज क्यों फेमस है?
नासिक में प्याज की खेती के लिए अनुकूल वातावरण और जलवायु है. साथ ही, इसमें काली और लाल मिट्टी का संयोजन है, जो प्याज के उत्पादन के लिए आदर्श माना जाता है. परंपरागत रूप से कई राज्यों में साल में दो बार प्याज उगाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है.
बता दें, बीते कई दिनों से देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी में कामकाज बंद रहने से प्याज के दाम काफी ऊपर चढ़ गए हैं. अगर कारोबार नहीं शुरू होता तो त्योहारी सीजन में आम लोगों को टमाटर के दाम बढ़ने के बाद दूसरा बड़ा झटका लगने की संभावना जताई जाने लगी थी. माना जा रहा था कि टमाटर के बाद अब प्याज के बढ़ते दाम लोगों को रुला सकते हैं.
ये भी पढ़ें– पीएम मोदी का नाम और कमल का निशान… बीजेपी ने बनाया विधानसभा चुनाव में जीत का प्लान
गौरतलब है कि जुलाई माह में टमाटर के दाम बढ़कर 250-300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे. जिससे सरकार की भौंहें तन गई थीं. अबकी बार इसी तरह की स्थिति प्याज के साथ भी बनती जा रही थी. आने वाले समय में कई त्योहार हैं. ऐसे में प्याज के दाम बढ़ने से लोगों के रसोई के बजट पर असर हो सकता था.